अग्रणी खोज-आधारित वैश्विक दवा कंपनी ज़ाइडस ने एक्सचेंजों को सूचित किया है कि कंपनी ने एमियोट्रोफिक लेटरल स्क्लेरोसिस (एएलएस) के रोगियों में एनएलआरपी3 अवरोधक ‘उस्नोफ्लैस्ट (जेडवाईआईएल1)’ का चरण II (ए) नैदानिक अध्ययन पूरा कर लिया है।
एक्सचेंज फाइलिंग में कंपनी ने बताया, “ALS के मरीज़ों में न्यूरोइन्फ्लेमेशन और तेज़ी से न्यूरोडीजनरेशन होता है। एक्सोनल न्यूरोडीजनरेशन के कारण न्यूरोफिलामेंट्स बनते हैं जो पहले ALS के मरीज़ों के CSF में जमा होते हैं और फिर धीरे-धीरे ये न्यूरोफिलामेंट्स रक्त संचार में प्रवेश करते हैं। तेज़ी से न्यूरोडीजनरेशन के कारण ALS के मरीज़ों में हिलने-डुलने, बोलने, खाने और अंततः सांस लेने की क्षमता में लगातार कमी, लकवा और मौत की खबरें आई हैं।”
रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र (सीडीसी) के आंकड़ों के अनुसार, संयुक्त राज्य अमेरिका में एएलएस लगभग 32,000 लोगों को प्रभावित करता है, तथा हर साल 5,000 नए रोगियों का निदान किया जाता है। अनुमान है कि यूरोप (यूनाइटेड किंगडम और यूरोपीय संघ) में लगभग 30,000 लोग और भारत में 75,000 से अधिक लोग एएलएस से प्रभावित हैं। एएलएस से पीड़ित लोग निदान के बाद औसतन दो से पांच साल तक जीवित रहते हैं, तथा अधिकांश मौतें श्वसन विफलता के कारण होती हैं।
अमन शुक्ला मास कम्युनिकेशन में पोस्ट-ग्रेजुएट हैं। मीडिया के प्रति उत्साही, जिनकी संचार, कंटेंट राइटिंग और कॉपी राइटिंग पर मजबूत पकड़ है। अमन वर्तमान में BusinessUpturn.com में पत्रकार के रूप में काम कर रहे हैं और उनसे amanshuklaa11@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।