उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने राज्य भर में पुलिस मुठभेड़ों में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने के लिए नए दिशानिर्देश जारी किए हैं। राज्य के पुलिस महानिदेशक प्रशांत कुमार द्वारा जारी दिशानिर्देशों में मुठभेड़ स्थल की अनिवार्य वीडियोग्राफी और दूसरे पुलिस स्टेशन के अधिकारियों द्वारा स्वतंत्र जांच शामिल है। इन नए उपायों का उद्देश्य मुठभेड़ों में पुलिस की कार्रवाइयों को लेकर बढ़ती चिंताओं और आलोचना को दूर करना है।
मुख्य निर्देशों में से एक घटना के बाद मृतक के परिवार को तत्काल सूचना देना है, जिससे अधिक पारदर्शी प्रक्रिया सुनिश्चित हो सके। दिशानिर्देशों में फोरेंसिक टीमों को घटनास्थल की तस्वीरें लेने, घटना का पुनर्निर्माण करने और सभी सबूतों की गहन समीक्षा करने की भी आवश्यकता है। इसके अतिरिक्त, मुठभेड़ में इस्तेमाल किए गए हथियारों का बैलिस्टिक परीक्षण किया जाना चाहिए, और घायल अपराधियों के हैंडवाश को जांच के लिए एकत्र किया जाना चाहिए।
हालिया चिंताओं के आलोक में, विशेष रूप से सितंबर में एक विवादास्पद मुठभेड़ के बाद, ये 16-सूत्रीय दिशानिर्देश ऐसे मामलों से उचित तरीके से निपटने को सुनिश्चित करने के लिए हैं। योगी सरकार ने इस बात पर जोर दिया कि किसी भी असहज स्थिति से बचने के लिए सभी प्रक्रियाओं को सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के निर्देशों का पालन करना चाहिए।
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