वोडाफोन आइडिया (Vi), जो कभी भारत में विलय के बाद सबसे बड़ी दूरसंचार कंपनी थी, अब भारी वित्तीय चुनौतियों से जूझ रही है, जिसका असर न केवल इसके संचालन पर बल्कि इसके शेयर मूल्य पर भी दिख रहा है। पिछले दो कारोबारी सत्रों में, वोडाफोन आइडिया के शेयर में 21% से अधिक की गिरावट आई है। वर्तमान में, इसका शेयर लगभग ₹10 प्रति शेयर पर कारोबार कर रहा है, जिससे निवेशकों में इस बात को लेकर चिंता बढ़ गई है कि कंपनी कब वापसी करेगी, अगर करेगी भी।
सुप्रीम कोर्ट का एजीआर फैसला: गिरावट के पीछे का कारण
वोडाफोन आइडिया के शेयरों में हाल ही में आई गिरावट का तात्कालिक कारण सुप्रीम कोर्ट द्वारा समायोजित सकल राजस्व (AGR) बकाया के संबंध में कंपनी की क्यूरेटिव याचिका को खारिज करना है। कोर्ट के इनकार का मतलब है कि वोडाफोन आइडिया को अब सरकार को लगभग ₹70,300 करोड़ का बकाया चुकाना होगा। यह एक बड़ा झटका है, खासकर तब जब कंपनी का खुद का अनुमान है कि बकाया राशि लगभग ₹35,400 करोड़ है।
पिछले कुछ सालों से वोडाफोन आइडिया पर एजीआर संकट मंडरा रहा है। कई दलीलों और अपीलों के बावजूद, टेलीकॉम दिग्गज को कोई राहत नहीं मिली है, जिससे उसकी वित्तीय स्थिति खराब हो गई है। सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले ने शेयर बाजार में कंपनी की स्थिति को और खराब कर दिया है।
ऋण बोझ और शेयरों का कमजोर होना
वोडाफोन आइडिया पिछले कुछ समय से भारी कर्ज के बोझ तले दबी हुई है। अपनी वित्तीय सेहत सुधारने के प्रयास में कंपनी ने फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफरिंग (FPO) लॉन्च किया, जिसके परिणामस्वरूप इसके शेयरों में गिरावट आई। बाजार में अब वोडाफोन आइडिया के 6,305 करोड़ से अधिक शेयर हैं और इसका कुल बाजार पूंजीकरण लगभग ₹71,304 करोड़ है, जो सरकार को दिए जाने वाले बकाए से थोड़ा ही अधिक है।
बाजार में शेयरों की अत्यधिक संख्या ने कई निवेशकों को चिंतित कर दिया है। जबकि कुछ लोगों को उम्मीद थी कि एफपीओ कंपनी को स्थिर करने के लिए पर्याप्त पूंजी जुटाएगा, लेकिन शेयरों की आमद ने वास्तव में स्टॉक के मूल्य को कम कर दिया है, जिससे अल्पावधि में किसी भी महत्वपूर्ण सुधार के लिए मुश्किल हो रही है।
बाजार विशेषज्ञों की मिली-जुली प्रतिक्रिया
वोडाफोन आइडिया के भविष्य को लेकर बाजार विशेषज्ञों की राय बंटी हुई है। नोमुरा इंडिया की एक रिपोर्ट बताती है कि वोडाफोन आइडिया अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है, लेकिन यह इसे पीछे छोड़ने की कगार पर है, इसलिए शेयर को ‘खरीदें’ रेटिंग दी गई है। हालांकि, अन्य विशेषज्ञ इससे सहमत नहीं हैं। बिजनेस स्टैंडर्ड ने अलग-अलग रुख की रिपोर्ट की, जिसमें नुवामा इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज ने ‘होल्ड’ रेटिंग की सिफारिश की, जेएम फाइनेंशियल्स ने ‘बेचने’ का विकल्प चुना और गोल्डमैन सैक्स ने शेयर को ‘अंडरपरफॉर्म’ करार दिया।
गोल्डमैन सैक्स का निराशावादी दृष्टिकोण बाजार में उपलब्ध शेयरों की विशाल मात्रा से उपजा है। भले ही प्रमोटर कुमार मंगलम बिड़ला ने हाल ही में 1.86 करोड़ शेयर खरीदे हैं, और पिलानी इन्वेस्टमेंट्स ने अतिरिक्त 30 लाख शेयर खरीदे हैं, लेकिन इन अधिग्रहणों ने प्रचलन में मौजूद 6,305 करोड़ शेयरों की उपलब्धता को प्रभावित करने में कोई खास भूमिका नहीं निभाई है। इस प्रकार, बाजार अति संतृप्त बना हुआ है, और शेयर संघर्ष करना जारी रखते हैं।
वोडाफोन आइडिया के लिए आगे एक लंबी राह
वोडाफोन आइडिया के भविष्य को लेकर कुछ आशावाद के बावजूद, कंपनी को रिकवरी के लिए एक लंबी और चुनौतीपूर्ण राह का सामना करना पड़ रहा है। भारी एजीआर बकाया, भारी कर्ज और कमजोर शेयरों के साथ, निवेशक संभवतः सतर्क रहेंगे। शेयर वापस खरीदने और विश्वास जगाने के प्रमोटर के प्रयासों से अभी तक महत्वपूर्ण परिणाम नहीं मिले हैं, और विश्वास पूरी तरह से बहाल होने से पहले बाजार को कंपनी की ओर से और अधिक ठोस कदम देखने की आवश्यकता होगी।
वोडाफोन आइडिया इस मुश्किल दौर से गुज़र रही है, इसलिए निवेशकों और बाज़ार विशेषज्ञों दोनों की नज़र इसके शेयर प्रदर्शन पर रहेगी। टेलीकॉम दिग्गज वापसी कर पाती है या अपनी गिरावट जारी रखती है, यह काफी हद तक इस बात पर निर्भर करेगा कि वह अपने वित्तीय दायित्वों को कैसे संभालती है और भारत में प्रतिस्पर्धी टेलीकॉम परिदृश्य कैसा है।
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