लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने एक निर्णायक कदम उठाते हुए विभिन्न औद्योगिक विकास प्राधिकरणों के पांच अधिकारियों को तबादला आदेशों का पालन न करने के कारण निलंबित कर दिया है। यह कार्रवाई गुरुवार को की गई, जिससे नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (YEIDA) सहित प्रभावित प्राधिकरणों में काफी अशांति फैल गई।
वित्तीय वर्ष 2022-23 और 2023-24 के दौरान कार्मिक स्थानांतरण के लिए जारी पिछले निर्देशों के बावजूद, कई अधिकारियों ने इन आदेशों की अवहेलना की है, और इसके बजाय अपने पसंदीदा कर्मचारियों को बनाए रखने का विकल्प चुना है। सरकारी आदेशों के इस खुलेआम उल्लंघन के कारण प्रशासन की ओर से कई चेतावनियाँ दी गईं, जिन्हें संबंधित अधिकारियों ने बड़े पैमाने पर नज़रअंदाज़ कर दिया।
अनुपालन का महत्व
सरकार ने इस बात पर जोर दिया कि राज्य संचालन के कुशल संचालन के लिए स्थानांतरण आदेशों का पालन करना आवश्यक है। इस तरह के स्थानांतरण न केवल एक सुचारू कार्यप्रवाह की सुविधा प्रदान करते हैं बल्कि सरकारी विभागों की समग्र दक्षता और प्रभावशीलता को भी बढ़ाते हैं। जब कर्मचारी स्थानांतरण निर्देशों का पालन करने में विफल होते हैं, तो यह संतुलन को बाधित करता है और काम की गति को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है।
निलंबित अधिकारियों में यूपीआईडीसी के सहायक महाप्रबंधक कैलाशनाथ श्रीवास्तव, नोएडा के सिविल प्रबंधक आरके शर्मा, ग्रेटर नोएडा के वरिष्ठ सिविल प्रबंधक रामआसरे गौतम, ग्रेटर नोएडा के वरिष्ठ प्रबंधक गुरविंदर सिंह और वाईईआईडीए के उप महाप्रबंधक राजेंद्र भाटी शामिल हैं।
सरकार का रुख
सरकार ने अपने कर्मचारियों के बीच जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए अपने निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है। यह निलंबन उन अन्य अधिकारियों के लिए चेतावनी है जो नियमों को दरकिनार करने या आदेशों की अनदेखी करने का प्रयास कर सकते हैं।
जैसे-जैसे स्थिति सामने आती है, प्रशासन से अपेक्षा की जाती है कि वह प्रभावित प्राधिकारियों पर बारीकी से नजर रखे, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि आवश्यक परिवर्तन लागू किए जाएं तथा परिचालन अखंडता बहाल हो।