बिहार में भाजपा-जद-यू गठबंधन सत्ता में है।
उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की संभावना है। सूत्रों के मुताबिक, दोनों दलों के बीच जल्द ही गठबंधन को औपचारिक रूप दिए जाने की संभावना है।
दोनों दलों के नेतृत्व ने इस सौदे को अंतिम रूप देने के लिए पहले ही दो बैठकें की हैं। सूत्रों ने बताया कि जेडी-यू के शीर्ष नेताओं ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ बैठक की है, जिसमें इस बात पर चर्चा की गई है कि बिहार में सत्ता में मौजूद दोनों दल यूपी चुनाव गठबंधन में लड़ सकते हैं।
जेडी-यू ने दावा किया है कि बिहार की सीमा से सटे कम से कम दो दर्जन सीटों पर पार्टी का खासा प्रभाव है। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि जेडी-यू इन सीटों पर कुर्मी, कोइरी और भूमिहार वोट बैंक को लुभाने की कोशिश कर रही है।
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इससे पहले जेडी-यू ने कहा था कि अगर यूपी में बीजेपी के साथ गठबंधन नहीं होता है तो वह उत्तर प्रदेश में 200 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। 2017 में जेडी-यू ने यूपी चुनाव नहीं लड़ा था क्योंकि वह बिहार में बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए में वापस जाने की योजना बना रही थी।
जहां तक भाजपा का सवाल है, भगवा पार्टी ओम प्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) के नेतृत्व वाले राज्य में छोटे दलों के बीच गठबंधन भागीदारी संकल्प मोर्चा के प्रभाव को कम करने की कोशिश कर रही है। असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम भी इस मोर्चे का हिस्सा है।
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बाकी दो बड़ी पार्टियां- अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी और मायावती की बहुजन समाज पार्टी- पहले ही घोषणा कर चुकी हैं कि वे इस बार यूपी चुनाव अकेले लड़ेंगी। समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने 2017 का चुनाव साथ मिलकर लड़ा था, हालांकि, यह गठबंधन भाजपा को कोई बड़ी चुनौती देने में विफल रहा था।