अध्ययन में पाया गया कि विश्व की 50% से अधिक आबादी में स्वास्थ्य के लिए आवश्यक इन सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी है

अध्ययन में पाया गया कि विश्व की 50% से अधिक आबादी में स्वास्थ्य के लिए आवश्यक इन सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी है

सूक्ष्म पोषक तत्वों की प्रतीकात्मक छवि (फोटो स्रोत: कैनवा)

हार्वर्ड टीएच चैन स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ, यूसी सांता बारबरा (यूसीएसबी) और ग्लोबल अलायंस फॉर इम्प्रूव्ड न्यूट्रीशन (जीएआईएन) के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक नए अध्ययन से पता चला है कि दुनिया की आधी से अधिक आबादी कैल्शियम, आयरन और विटामिन सी और ई जैसे महत्वपूर्ण सूक्ष्म पोषक तत्वों का अपर्याप्त स्तर का उपभोग करती है। 29 अगस्त को द लैंसेट ग्लोबल हेल्थ में प्रकाशित यह शोध, 15 आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्वों के अपर्याप्त उपभोग का वैश्विक अनुमान प्रस्तुत करने वाला पहला है।












सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी, जिसे अक्सर “छिपी हुई भूख” कहा जाता है, कुपोषण का एक व्यापक रूप है और गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा करती है। प्रत्येक कमी के विशिष्ट परिणाम होते हैं, जिसमें प्रतिकूल गर्भावस्था के परिणाम और अंधापन से लेकर संक्रामक रोगों के प्रति बढ़ती संवेदनशीलता तक शामिल है। पिछले शोध ने मुख्य रूप से इन सूक्ष्म पोषक तत्वों की उपलब्धता और खपत पर ध्यान केंद्रित किया है, लेकिन यह नया अध्ययन यह आकलन करता है कि क्या सेवन किए गए स्तर स्वास्थ्य आवश्यकताओं को पूरा करते हैं और पुरुषों और महिलाओं में उनके पूरे जीवनकाल में होने वाली कमियों की जांच करते हैं।

अध्ययन के सह-प्रमुख लेखक और यूसीएसबी में शोध प्रोफेसर क्रिस फ्री ने इस शोध को एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर बताया। उन्होंने बताया कि यह दुनिया भर के लगभग हर देश में 34 आयु-लिंग समूहों में अपर्याप्त सूक्ष्म पोषक तत्वों के सेवन का अनुमान लगाने वाला पहला अध्ययन है। अध्ययन के तरीके और निष्कर्ष शोधकर्ताओं और चिकित्सकों के लिए भी सुलभ बनाए गए हैं, जिसका उद्देश्य कुपोषण से निपटने के प्रयासों का समर्थन करना है।

शोधकर्ताओं ने ग्लोबल डाइटरी डेटाबेस, विश्व बैंक और 31 देशों में किए गए डाइटरी रिकॉल सर्वेक्षणों के डेटा का इस्तेमाल किया। अध्ययन में 185 देशों की आबादी के बीच पोषण सेवन का आकलन किया गया, उन्हें नवजात शिशुओं से लेकर 80 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्तियों तक 17 आयु समूहों में विभाजित किया गया। अध्ययन किए गए 15 विटामिन और खनिजों में कैल्शियम, आयोडीन, आयरन, राइबोफ्लेविन, फोलेट, जिंक, मैग्नीशियम, सेलेनियम, थायमिन, नियासिन और विटामिन ए, बी6, बी12, सी और ई शामिल थे।












निष्कर्षों से पता चला कि सूक्ष्म पोषक तत्वों के सेवन में काफी कमी है, खास तौर पर आयोडीन (वैश्विक आबादी का 68%), विटामिन ई (67%), कैल्शियम (66%) और आयरन (65%)। पाया गया कि वैश्विक आबादी के आधे से ज़्यादा लोग राइबोफ्लेविन, फोलेट और विटामिन सी और बी6 का अपर्याप्त स्तर का सेवन करते हैं। अध्ययन में यह भी बताया गया कि महिलाओं में आयोडीन, विटामिन बी12, आयरन और सेलेनियम जैसे सूक्ष्म पोषक तत्वों का अपर्याप्त सेवन ज़्यादा आम है, जबकि पुरुषों में कैल्शियम, नियासिन, थायमिन, ज़िंक, मैग्नीशियम और विटामिन ए, सी और बी6 की कमी की दर ज़्यादा है।

GAIN के वरिष्ठ तकनीकी विशेषज्ञ टाई बील ने निष्कर्षों की चिंताजनक प्रकृति पर जोर देते हुए कहा कि वैश्विक आबादी के एक महत्वपूर्ण हिस्से को पर्याप्त आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्व नहीं मिल रहे हैं, जिससे स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है और मानव क्षमता सीमित हो रही है। हार्वर्ड चैन स्कूल के वरिष्ठ लेखक क्रिस्टोफर गोल्डन ने लक्षित आहार हस्तक्षेप की आवश्यकता पर जोर दिया और नीति निर्माताओं से सबसे कमजोर आबादी पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया।












हालांकि यह अध्ययन महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि प्रदान करता है, लेकिन शोधकर्ताओं ने दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों में व्यक्तिगत आहार सेवन पर व्यापक डेटा की कमी के कारण सीमाओं को स्वीकार किया है।

(स्रोत: हार्वर्ड टी.एच. चैन स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ)










पहली बार प्रकाशित: 09 सितम्बर 2024, 10:20 IST


Exit mobile version