एक ऐतिहासिक निर्णय में, भारत सरकार ने वाराणसी में गंगा नदी पर देश के सबसे बड़े रेल-सड़क पुल के निर्माण को मंजूरी दे दी है। इस मल्टी-ट्रैकिंग ब्रिज का लक्ष्य उत्तर प्रदेश के दो जिलों को जोड़ना, रसद लागत को काफी कम करना और परिवहन दक्षता में सुधार करना है।
परियोजना विवरण
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट ने 2,642 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत वाली इस महत्वाकांक्षी परियोजना को मंजूरी दे दी है। पुल के निचले स्तर पर चार रेलवे ट्रैक और ऊपर छह लेन का राजमार्ग होगा। यह अद्वितीय डिज़ाइन ट्रकों, कारों और ट्रेनों को एक ही संरचना का उपयोग करने की अनुमति देता है, जिससे वाराणसी और पंडित दीन दयाल उपाध्याय नगर के बीच कनेक्टिविटी बढ़ती है।
आर्थिक प्रभाव और रोजगार सृजन
पुल के निर्माण से लगभग 10 लाख प्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा होने की उम्मीद है, जो स्थानीय रोजगार में योगदान देगा। इसके अतिरिक्त, यह बुनियादी ढांचा परियोजना भारतीय रेलवे के मौजूदा नेटवर्क को लगभग 30 किलोमीटर तक बढ़ाएगी, जिससे क्षेत्र में भीड़भाड़ कम होगी।
पर्यावरणीय लाभ
परिवहन में सुधार के अलावा, पुल प्रदूषण के स्तर को कम करने और परिवहन लागत को कम करने में मदद करेगा। अनुमान है कि इस परियोजना से सालाना लगभग 8 करोड़ लीटर डीजल की बचत होगी, जिससे जनता को लगभग ₹638 करोड़ की लागत बचत होगी। डीजल के उपयोग में इस कटौती से CO2 उत्सर्जन में 149 करोड़ किलोग्राम की कमी करने में भी मदद मिलेगी, जो 6 करोड़ पेड़ लगाने के बराबर है।