केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने देश में एमपॉक्स के कारण किसी भी मामले या मृत्यु के जोखिम को रोकने या न्यूनतम करने के लिए सोमवार को राज्यों को एक सलाह जारी की।
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) ने राज्यों के लिए एक निगरानी रणनीति जारी की है, जिसमें परीक्षण के लिए प्रयोगशालाओं की सूची, नैदानिक प्रबंधन प्रोटोकॉल और संक्रमण की रोकथाम और नियंत्रण के लिए अन्य संचार रणनीतियां शामिल हैं।
देश में अब तक एमपॉक्स का कोई मामला सामने नहीं आया है क्योंकि पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में सभी नमूनों और संदिग्ध मामलों की जांच निगेटिव आई है। हालांकि, मामलों के समूहन पर निगरानी रखने के लिए रोग निगरानी जारी रहेगी।
परामर्श में कहा गया है कि वरिष्ठ अधिकारी राज्य और जिला स्तर पर स्वास्थ्य सुविधाओं में सार्वजनिक स्वास्थ्य तैयारियों की समीक्षा करेंगे।
मंत्रालय ने संदिग्ध और पुष्ट दोनों तरह के मामलों की देखभाल के लिए अस्पतालों में आइसोलेशन सुविधाओं की पहचान करने का निर्देश दिया है। इसने राज्यों से ऐसी सुविधाओं में प्रशिक्षित मानव संसाधन रखने को भी कहा है।
परामर्श में संपर्क ट्रेसिंग के लिए एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (आईडीएसपी) के तहत रोग निगरानी इकाइयों पर ध्यान केंद्रित करने पर जोर दिया गया।
राज्यों से कहा गया है कि वे स्वास्थ्य कर्मियों, विशेषकर त्वचा एवं यौन संचारित रोग (एसटीडी) क्लीनिकों में कार्यरत कर्मियों पर विशेष ध्यान दें, ताकि उन्हें एमपॉक्स के सामान्य संकेतों और लक्षणों तथा निदान के बाद की जाने वाली कार्रवाई के बारे में जानकारी मिल सके।
मंत्रालय ने अस्पताल आधारित निगरानी से लेकर राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (एनएसीओ) द्वारा चिन्हित हस्तक्षेप स्थलों तक सभी संदिग्ध मामलों की जांच और परीक्षण अनिवार्य कर दिया है।
परामर्श में कहा गया है, “हालांकि सभी राज्यों से अनुरोध किया जाता है कि वे समुदायों को बीमारी, इसके फैलने के तरीके, समय पर सूचना देने की आवश्यकता और निवारक उपायों के बारे में जागरूक करने के लिए उचित गतिविधियां चलाएं, लेकिन यह भी महत्वपूर्ण है कि जनता के बीच किसी भी तरह की अनुचित घबराहट को रोका जाए।”
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस वर्ष अगस्त में एमपॉक्स को अंतर्राष्ट्रीय चिंता का विषय बना सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया था।
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