भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने हाल ही में एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया जिसमें अदालत ने कहा कि लाइट मोटर वाहन (एलएमवी) लाइसेंस धारक ड्राइवरों को 7500 किलोग्राम तक के परिवहन वाहन चलाने की अनुमति दी जा सकती है। यह फैसला चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पांच जजों की संविधान पीठ ने सुनाया। इसका न केवल बीमा दावों में बल्कि मोटर वाहन (एमवी) अधिनियम, 1988 की व्याख्या में भी जबरदस्त प्रभाव है।
फैसले से मुख्य बातें
इस फैसले के तहत कानूनी सवाल यह था कि क्या एलएमवी लाइसेंस रखने वाला व्यक्ति 7,500 किलोग्राम से अधिक वजन वाला परिवहन वाहन चला सकता है। यह मुद्दा अधिकांश बीमा विवादों में विवाद का क्षेत्र बन गया था, खासकर उन दुर्घटनाओं से जुड़े मामलों में जहां गाड़ी चलाने वाले व्यक्ति के पास एलएमवी लाइसेंस था लेकिन वह परिवहन वाहन चला रहा था।
अब तक, बीमा कंपनियां यह कहते हुए ऐसे दावों को मानने से इनकार करती रही हैं कि केवल विशेष परिवहन वाहन लाइसेंस वाले ड्राइवरों को ही 3,500 किलोग्राम से अधिक वजन वाले वाहन चलाने की अनुमति दी जानी चाहिए। कोर्ट के फैसले के साथ, एलएमवी लाइसेंस धारक अब दावों के खारिज होने के डर के बिना 7,500 किलोग्राम तक गाड़ी चला सकते हैं।
बीमा कंपनियों पर प्रभाव
इस फैसले से बीमा कंपनियों, खासकर बजाज आलियांज जैसी कंपनियों को बड़ा झटका लगा है, जिन्होंने परिवहन वाहन चलाने वाले एलएमवी ड्राइवरों के दावों पर आपत्ति जताई थी। बीमा कंपनियों ने तर्क दिया कि अदालतें उनकी आपत्तियों को नजरअंदाज कर रही हैं जिसके कारण दुर्घटना दावों पर मजबूरन भुगतान करना पड़ रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बीमा कंपनियां इस आधार पर दावों को खारिज नहीं कर सकती हैं कि एलएमवी लाइसेंस धारकों को 7,500 किलोग्राम तक के परिवहन वाहन चलाने की अनुमति नहीं है। इस फैसले से भविष्य में एलएमवी लाइसेंस वाले ड्राइवरों के लिए दुर्घटना दावा प्रक्रिया को और भी सरल बनाने की संभावना है।
मोटर वाहन अधिनियम में संशोधन
भारत सरकार ने कहा कि वह इस फैसले के बाद संसद के शीतकालीन सत्र में मोटर वाहन अधिनियम में संशोधन पेश करेगी। संशोधन न्यायालय द्वारा दी गई व्याख्या को प्रतिबिंबित करेंगे और यह भी देखेंगे कि ड्राइवरों की पात्रता और वाहनों की वजन श्रेणियों के संबंध में कानून में एकरूपता थी।
यह फैसला 2017 मुकुंद देवांगन बनाम ओरिएंटल इंश्योरेंस के मामले पर आधारित है। इस मामले में कोर्ट का स्पष्ट कहना था कि 7,500 किलोग्राम से कम वजन वाले वाहनों के लिए भी एलएमवी लाइसेंस उपलब्ध होना चाहिए। इसका उद्देश्य एमवी अधिनियम के कानूनी प्रावधानों को ड्राइवरों और बीमा कंपनियों की बदलती आवश्यकताओं के अनुरूप लाना भी है।