भारत का सर्वोच्च न्यायालय
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (20 सितंबर) को पश्चिम बंगाल के बाहर 2021 के चुनाव बाद हिंसा से संबंधित मामलों को स्थानांतरित करने की मांग करने वाली अपनी याचिका में निचली अदालतों के खिलाफ “निंदनीय आरोप” लगाने के लिए सीबीआई को फटकार लगाई। जस्टिस अभय एस ओका और पंकज मिथल की पीठ ने कहा कि एजेंसी पश्चिम बंगाल में पूरी न्यायपालिका पर आक्षेप नहीं लगा सकती। पीठ ने सीबीआई की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू से कहा, “श्री राजू, इसमें किस तरह के आधार लिए गए हैं? आप पूरी न्यायपालिका पर आक्षेप कैसे लगा सकते हैं। आप ऐसा दिखा रहे हैं जैसे पूरे पश्चिम बंगाल में शत्रुतापूर्ण माहौल है।”
इसमें आगे कहा गया, “हो सकता है कि आपके अधिकारी न्यायिक अधिकारी या किसी विशेष राज्य को पसंद न करें, लेकिन यह न कहें कि पूरी न्यायपालिका काम नहीं कर रही है। जिला न्यायाधीश और सिविल न्यायाधीश और सत्र न्यायाधीश यहां आकर अपना बचाव नहीं कर सकते।”
विधि अधिकारी ने याचिका में कही गई बातों का बचाव करते हुए कहा कि इसमें किसी पर आरोप लगाने की मंशा नहीं है और यह मामला गलत तरीके से तैयार किया गया है। राजू ने सर्वोच्च न्यायालय की तीखी टिप्पणियों के बाद स्थानांतरण याचिका वापस ले ली।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में क्या कहा?
शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में दर्ज किया, “पश्चिम बंगाल में सामान्य रूप से सभी अदालतों के खिलाफ निंदनीय आरोप लगाए गए हैं। बार-बार यह कहा गया है कि अदालतों में शत्रुतापूर्ण माहौल व्याप्त है। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि केंद्रीय एजेंसी ने पश्चिम बंगाल की अदालतों पर आक्षेप लगाने का विकल्प चुना है।”
पीठ ने कहा, “एएसजी ने कहा कि आक्षेप लगाने का कोई इरादा नहीं था। हालांकि, आरोप इसके विपरीत हैं। वह इसे वापस लेने की अनुमति चाहते हैं।” सीबीआई ने दिसंबर 2023 में याचिका दायर कर गवाहों को डराने-धमकाने की कथित चिंताओं के कारण मामलों को पश्चिम बंगाल से बाहर स्थानांतरित करने के निर्देश देने की मांग की थी।
(पीटीआई इनपुट्स के साथ)