बेंगलुरु, 7 सितंबर: ग्रीनपीस इंडिया द्वारा किए गए एक चौंकाने वाले अध्ययन से पता चला है कि कर्नाटक के तीन प्रमुख शहरों- बेंगलुरु, मैंगलोर और मैसूर में वायु गुणवत्ता में उल्लेखनीय गिरावट आई है। कभी अपने सुखद मौसम और अपेक्षाकृत स्वच्छ हवा के लिए जाने जाने वाले ये शहर अब वायुमंडल में खतरनाक कणों के बढ़ते स्तर से जूझ रहे हैं।
दक्षिण भारतीय शहरों में बढ़ता प्रदूषण
अध्ययन में हैदराबाद, चेन्नई, विशाखापत्तनम, कोच्चि, अमरावती और विजयवाड़ा सहित दस प्रमुख दक्षिण भारतीय शहरों में वायु गुणवत्ता का विश्लेषण किया गया। निष्कर्ष PM2.5 और PM10 के स्तर में चिंताजनक वृद्धि को उजागर करते हैं – वायु प्रदूषण के प्रमुख संकेतक जो हवा में धूल और हानिकारक कणों को मापते हैं। ये स्तर अब विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा निर्धारित दिशा-निर्देशों को पार कर गए हैं, जिससे गंभीर स्वास्थ्य संबंधी चिंताएँ पैदा हो रही हैं।
कर्नाटक के प्रमुख शहर प्रदूषण संकट का सामना कर रहे हैं
“स्पेयर द एयर-2” शीर्षक वाली रिपोर्ट के अनुसार, बेंगलुरु, मैंगलोर और मैसूर में पीएम10 का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशा-निर्देशों से 4 से 5 गुना अधिक है। जबकि विशाखापत्तनम जैसे अन्य शहरों में प्रदूषण का स्तर और भी अधिक खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है – अनुशंसित सीमा से 10 गुना तक – कर्नाटक के शहरों में अभी भी चिंताजनक वृद्धि देखी जा रही है।
सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरे में
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस में उद्धृत शोधकर्ता आकांक्षा सिंह ने स्वच्छ हवा की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “अध्ययन से पता चलता है कि दक्षिणी राज्यों के सभी प्रमुख शहर डब्ल्यूएचओ के अद्यतन वायु गुणवत्ता मानकों से आगे हैं।”
रिपोर्ट इस धारणा को खारिज करती है कि दक्षिणी राज्यों में उत्तरी राज्यों की तुलना में वायु गुणवत्ता बेहतर है। ग्रीनपीस इंडिया के अभियान प्रबंधक अविनाश चंचल ने कहा कि दक्षिणी क्षेत्र का कोई भी प्रमुख शहर विश्व स्वास्थ्य संगठन के वायु सुरक्षा दिशा-निर्देशों को पूरा नहीं करता है।