नई दिल्ली, 26 सितंबर: कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना करते हुए कई तीखे ट्वीट किए हैं, जिस पर केंद्रीय मंत्री एचडी कुमारस्वामी की ओर से उल्लेखनीय प्रतिक्रिया आई है। कुमारस्वामी ने सिद्धारमैया की टिप्पणियों पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए सुझाव दिया कि राजनीतिक चर्चाओं को बढ़ा-चढ़ाकर नहीं बताया जाना चाहिए। यह आदान-प्रदान राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस के नेतृत्व वाली कर्नाटक सरकार और भाजपा के बीच चल रहे तनाव को उजागर करता है, खासकर भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर। यहां हाल के घटनाक्रमों और उनके कारण हुई प्रतिक्रियाओं पर करीब से नज़र डाली गई है।
सिद्धारमैया का ट्विटर हमला: कर्नाटक के सीएम ने कई ट्वीट कर पीएम मोदी पर निशाना साधा और भ्रष्टाचार के मुद्दों पर उनकी विश्वसनीयता पर सवाल उठाया।
कुमारस्वामी की प्रतिक्रिया: केंद्रीय मंत्री ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि इस तरह की राजनीतिक बहस को चर्चा पर हावी नहीं होना चाहिए।
भ्रष्टाचार के आरोप: सिद्धारमैया ने पहले कर्नाटक की भाजपा सरकार पर 40% कमीशन मांगने का आरोप लगाया था, जिसका जवाब देते हुए कुमारस्वामी ने कहा कि कांग्रेस भी इसी तरह इसमें शामिल है।
नोटिस का खंडन: कुमारस्वामी ने कहा कि गंगेनाहल्ली अधिसूचना रद्द करने के मुद्दे पर उन्हें कोई आधिकारिक नोटिस नहीं मिला है और दावा किया कि इस संबंध में उनसे कोई संपर्क नहीं किया गया है।
रैलियों में मोदी के दावे: हरियाणा में एक चुनावी रैली के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने सिद्धारमैया की भूमि घोटालों में संलिप्तता का हवाला देते हुए कांग्रेस पार्टी पर भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने का आरोप लगाया।
सिद्धारमैया का प्रत्युत्तर: जवाब में, सिद्धारमैया ने दावा किया कि मोदी का कार्यालय भ्रष्ट राजनेताओं के लिए “वाशिंग मशीन” के रूप में कार्य करता है, यह सुझाव देते हुए कि जांच का सामना करने वाले कई लोगों ने भाजपा में शरण ली है।
राजनीतिक तनाव बढ़ता है: यह आदान-प्रदान कांग्रेस और भाजपा के बीच बढ़ती राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता को दर्शाता है, जिसमें चुनावों से पहले आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है।