हरियाणा में आगामी चुनावों की तैयारियों के बीच, भाजपा के वरिष्ठ नेता अनिल विज ने खुले तौर पर मुख्यमंत्री बनने की इच्छा जताई है। छह बार विधायक रह चुके और हरियाणा के राजनीतिक परिदृश्य में महत्वपूर्ण स्थान रखने वाले विज की शीर्ष पद पर दावा करने की महत्वाकांक्षा आश्चर्यजनक नहीं है। हालांकि, उनकी वरिष्ठता और लोकप्रियता के बावजूद, उनके मुख्यमंत्री बनने की संभावना कम ही दिखती है। जानिए क्यों:
1. नायब सैनी पर भाजपा का स्पष्ट रुख:
भाजपा नेतृत्व, खास तौर पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि पार्टी मौजूदा मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के नेतृत्व में हरियाणा चुनाव लड़ेगी। शाह ने इस बात पर जोर दिया है कि भाजपा सैनी को प्रचार का चेहरा बनाकर पूर्ण बहुमत हासिल करने की कोशिश करेगी। पार्टी के शीर्ष नेताओं की ओर से इस सार्वजनिक समर्थन से यह संभावना कम ही है कि नेतृत्व चुनाव से पहले अपना रुख बदलेगा।
अमित शाह का बयान:
उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा नायब सैनी के नेतृत्व में चुनाव लड़ेगी और हम अपने दम पर पूर्ण बहुमत हासिल करेंगे।’’
2. पार्टी की आंतरिक राजनीति:
जबकि अनिल विज भाजपा के भीतर एक सम्मानित व्यक्ति हैं, पार्टी की आंतरिक गतिशीलता नेतृत्व के निर्णयों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। वर्तमान नेतृत्व ने नायब सैनी के साथ बने रहने का विकल्प चुना है, और इस योजना से कोई भी विचलन आंतरिक कलह का कारण बन सकता है। विज द्वारा सीएम पद के लिए अपनी इच्छा की खुली घोषणा पार्टी के भीतर तनाव पैदा कर सकती है, लेकिन भाजपा द्वारा गियर बदलने की संभावना नहीं है, खासकर जब चुनाव इतने करीब हों।
3. मंत्रिमंडल से पूर्व बहिष्कार:
नायब सैनी के नेतृत्व वाली सरकार में विज को उनकी वरिष्ठता के बावजूद मंत्रिमंडल से बाहर रखा गया। इस बहिष्कार ने पार्टी पदानुक्रम के भीतर उनकी स्थिति पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अगर मौजूदा सरकार में विज को कैबिनेट पद के लिए योग्य नहीं समझा गया, तो यह संभावना नहीं है कि नेतृत्व अब उन्हें शीर्ष भूमिका के लिए चुनेगा।
4. बढ़ती प्रतिस्पर्धा:
अनिल विज अकेले ऐसे बीजेपी नेता नहीं हैं जो मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नज़र गड़ाए हुए हैं। केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने भी अपनी संभावित उम्मीदवारी के लिए जनता का समर्थन हासिल करने का दावा करते हुए अपनी दावेदारी पेश की है। पार्टी के भीतर बढ़ती प्रतिस्पर्धा ने विज के लिए सीएम पद की राह को और भी जटिल बना दिया है।
राव इंद्रजीत सिंह का बयान:
“हरियाणा के लोग चाहते हैं कि मैं मुख्यमंत्री बनूं। लोगों के समर्थन के बिना मनोहर लाल खट्टर दो बार मुख्यमंत्री नहीं बन पाते।”
5. चुनाव रणनीति और स्थिरता:
चुनाव नजदीक आते ही, भाजपा मतदाताओं के सामने एक स्थिर और एकीकृत मोर्चा पेश करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। इस समय नेतृत्व बदलने या सीएम पद के लिए कई दावेदारों को शामिल करने से पार्टी की छवि कमजोर होने और मतदाताओं को भ्रमित करने का जोखिम हो सकता है। एक सुचारू और केंद्रित अभियान सुनिश्चित करने के लिए नेतृत्व नायब सैनी के परिचित चेहरे के साथ बने रहने की संभावना है।