हाल ही में एक आरटीआई खुलासे ने सोशल मीडिया पर व्यापक आक्रोश और बहस को जन्म दिया है, जिसमें राजस्थान में टोल संग्रह प्रथाओं में भारी विसंगति का खुलासा हुआ है। सूचना के अधिकार अधिनियम के माध्यम से प्राप्त जानकारी के अनुसार, राजस्थान में एक टोल प्लाजा ने टोल शुल्क के रूप में ₹8,349 करोड़ जमा किए हैं, जबकि जिस राष्ट्रीय राजमार्ग से यह जुड़ा है, उसके निर्माण में केवल ₹1,896 करोड़ की लागत आई है।
टोल संग्रह विवाद
मामला जयपुर से दिल्ली तक जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग 8 पर मनोहरपुर टोल प्लाजा का है। आरटीआई के जवाब से पता चला है कि 2023 तक टोल प्लाजा ने ₹8,349 करोड़ की चौंका देने वाली वसूली की है। यह आंकड़ा राजमार्ग के निर्माण की लागत से काफी अधिक है, जिससे लोगों में गंभीर चिंता पैदा हो रही है।
सार्वजनिक आक्रोश और बहस
इस खुलासे ने सोशल मीडिया पर गुस्से और बहस की लहर पैदा कर दी है। कई उपयोगकर्ता सवाल उठा रहे हैं कि अत्यधिक शुल्क वसूले जाने के बावजूद टोल प्लाजा चालू क्यों है। इस स्थिति ने टोल संग्रह प्रथाओं की निष्पक्षता और पारदर्शिता के बारे में गरमागरम चर्चाओं को जन्म दिया है।
निर्माण और टोल राजस्व में विसंगति
निर्माण लागत और टोल राजस्व के बीच भारी अंतर ने लोगों को चौंका दिया है। टोल के रूप में एकत्रित की गई राशि इतनी अधिक है कि इससे समान पैमाने के चार अतिरिक्त राजमार्गों के निर्माण का खर्च उठाया जा सकता है। इस विसंगति ने टोल संग्रह प्रक्रिया और जवाबदेही की समीक्षा की मांग को बढ़ावा दिया है।
अधिकारियों की प्रतिक्रिया
इस खुलासे के बाद स्थानीय प्रशासन और पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है। अधिकारी लोगों से शांत रहने और जांच के नतीजे का इंतजार करने की अपील कर रहे हैं। उन्होंने लोगों की चिंताओं को दूर करने और जांच के नतीजों के आधार पर उचित कार्रवाई करने का वादा किया है।
आरटीआई खुलासे ने राजस्थान में टोल प्लाजा के प्रबंधन और विनियमन के बारे में महत्वपूर्ण सवालों को उजागर किया है। सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाओं की बाढ़ सी आ गई है, टोल संग्रह प्रथाओं में पारदर्शिता और न्याय की मांग बढ़ रही है।
स्रोत : https://hindistates.com/rajasthan-hindi-news/rajasthan-toll-collection-rti-reveal/2024/09/07/