नयी दिल्ली, 18 सितंबर (भाषा) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने बुधवार को लोगों से वैदिक जीवन अपनाने का आह्वान करते हुए कहा कि अब सनातन धर्म के उत्थान का समय आ गया है और इसके प्रति दुनिया का नजरिया भी बदल रहा है।
आरएसएस प्रमुख ने कहा कि वेद ज्ञान का खजाना हैं और उनमें समाज के लिए भौतिक तथा आध्यात्मिक जीवन दोनों के संदर्भ में जीवन की शिक्षाएं निहित हैं।
उन्होंने कहा कि ऋषियों ने वेदों की रचना विश्व कल्याण के लिए की थी।
उन्होंने कहा, “इसलिए मैंने कहा कि भारत और वेद समानार्थी हैं… हमारे पास वेदनिधि (वेदों के रूप में ज्ञान का खजाना) है। हमें इसे पढ़ना चाहिए, इसे अपने जीवन में लागू करना चाहिए और इसे अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाना चाहिए ताकि वे इसके ज्ञान का लाभ उठा सकें।”
भागवत यहां श्रीपाद दामोदर सातवलेकर द्वारा लिखित वेदों की हिंदी टीका के तीसरे संस्करण के विमोचन के लिए आयोजित एक समारोह को संबोधित कर रहे थे।
आरएसएस प्रमुख ने कहा, “ऐसा कहा जाता है कि सनातन धर्म के उत्थान का समय आ गया है। यह आ गया है। हम इसे देख रहे हैं। योगी अरविंद ने इसकी घोषणा की थी। पूरी दुनिया का रुख भी इस दिशा में बदल रहा है, यह हम भी जानते हैं।”
उन्होंने कहा कि श्रीपाद दामोदर सातवलेकर द्वारा लिखित वेदों की हिंदी टीका का प्रकाशन भी इसका संकेत है।
भागवत ने कहा कि धर्म का ज्ञान वेदों से आता है क्योंकि इन धर्मग्रंथों का आधार इस सत्य की अनुभूति पर आधारित है कि संपूर्ण विश्व एक है और सभी विभाजन तथा पाप-पुण्य का संघर्ष क्षणिक है।
आरएसएस प्रमुख ने कहा, “धर्म सभी को गले लगाता है, सभी को जोड़ता है, उनका उत्थान करता है, उन्हें सफलता की ओर ले जाता है। इसलिए धर्म जीवन का आधार है।”
उन्होंने कहा, “जीवन की अवधारणा धर्म पर आधारित है। यदि शरीर, मन, बुद्धि और आत्मा में सामंजस्य है, तो व्यक्ति जीवित रहता है। यदि यह संतुलन बिगड़ जाता है, तो व्यक्ति पागल हो जाता है। यदि यह समाप्त हो जाता है, तो व्यक्ति मर जाता है।” उन्होंने कहा, “धर्म संतुलन” और मुक्ति प्रदान करता है।
भागवत ने कहा कि वेदों में सारा ज्ञान समाया हुआ है। भागवत ने कहा, “फिर कोई पूछ सकता है कि वेदों में सीटी स्कैन का उल्लेख नहीं है। यह सच है। इसका उल्लेख नहीं है। लेकिन वेद सीटी स्कैन के विज्ञान के स्रोत को जानते हैं।”
उन्होंने कहा, “आधुनिक विज्ञान के आगमन से हजारों वर्ष पहले वेदों में बताया गया था कि पृथ्वी सूर्य से कितनी दूर है और सूर्य के प्रकाश को पृथ्वी तक पहुंचने में कितना समय लगता है। गणित वेदों के मंत्रों में पाया जाता है।”
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