ऐसे समय में जब भारत ने चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है, अमेरिका, वियतनाम, थाईलैंड और पाकिस्तान जैसे देशों के निर्यातक अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ी कीमतों का फायदा उठा रहे हैं। वर्ल्ड ग्रेन पत्रिका की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, इन देशों से चावल निर्यात की कीमत अक्टूबर 2023 की तुलना में नवंबर 2023 में 5 डॉलर से बढ़कर 50 डॉलर प्रति टन हो गई है।
भारत परंपरागत रूप से चावल का बड़ा निर्यातक रहा है। एक समय में, भारत की दुनिया के चावल व्यापार में 40% हिस्सेदारी थी। लेकिन घरेलू बाजार में कीमतें बढ़ने के बाद सरकार ने चावल की अधिकांश किस्मों के निर्यात पर रोक लगा दी है।
वर्ल्ड ग्रेन के अनुसार, दुनिया भर के कई बाजारों में चावल की कीमतें बढ़ रही हैं। पूर्वी एशिया में, वियतनाम और अमेरिकी महाद्वीप के विभिन्न देशों में भी यही स्थिति बनी हुई है। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) ने दिसंबर, 2023 में जारी अपनी चावल मूल्य सूचकांक रिपोर्ट में कहा कि नवंबर 2023 में दुनिया भर में चावल की कीमतें अक्टूबर की तुलना में स्थिर थीं, लेकिन नवंबर 2022 की तुलना में कीमतें 21% बढ़ गई थीं।
हालांकि, भारत में चावल बाजार का परिदृश्य मंदी वाला है, अर्थात यहां कीमतों में गिरावट आने की उम्मीद है, क्योंकि सरकार खाद्य मुद्रास्फीति पर काबू पाने के लिए कदम उठा रही है।
एफएओ का कहना है कि कुछ अमेरिकी किस्मों की कीमतें बढ़ी हैं। दक्षिण अमेरिकी देशों में भी कीमतें तेजी के रुख पर हैं। दक्षिण अमेरिका में आपूर्ति की कमी जारी है और 2024-25 में फसलों पर मौसम का असर अभी भी अनसुलझा है। इन सभी कारकों ने कीमतों को बढ़ाने का काम किया है।
अमेरिकी कृषि विभाग (यूएसडीए) ने पिछले वर्ष दिसंबर में ‘अनाज: विश्व बाजार और व्यापार’ रिपोर्ट में कहा था कि अमेरिकी निर्यात की कीमत एक महीने पहले की तुलना में 5 डॉलर बढ़कर 765 डॉलर प्रति टन हो गई, जबकि उरुग्वे की दर 30 डॉलर बढ़कर 790 डॉलर प्रति टन हो गई।
मजबूत मांग और आपूर्ति बाधाओं के कारण तेजी देखी गई।
यूएसडीए का कहना है कि 2019 के बाद पहली बार उरुग्वे की कीमतें अमेरिका से अधिक हो गई हैं। वियतनामी चावल की कीमतें 11 डॉलर बढ़कर 687 डॉलर प्रति टन हो गई हैं। फिलीपींस और इंडोनेशिया से मांग आ रही है। थाई चावल 51 डॉलर बढ़कर 619 डॉलर प्रति टन हो गया है। उन देशों से भी अधिक मांग आ रही है, जहां आपूर्ति भारत से होती थी। इसके अलावा, मजबूत मुद्रा का भी असर हुआ है। निर्यात बाजार में पाकिस्तानी चावल की कीमत 39 डॉलर बढ़कर 589 डॉलर प्रति टन हो गई।
यूएसडीए के अनुसार, यहां नई फसल आने के बावजूद, मजबूत मांग के कारण कीमतें बढ़ गई हैं।
अमेरिकी चावल उत्पादकों के संगठन ने दिसंबर में अपनी राइस एडवोकेट रिपोर्ट में कहा कि वर्तमान में पश्चिमी गोलार्ध में लंबे दाने वाले चावल की किस्म का एकमात्र आपूर्तिकर्ता अमेरिका है। इसलिए कीमतें बढ़ गई हैं।
पिछले साल निर्यात बाजार कमजोर था लेकिन मजबूत घरेलू मांग ने कीमतों को थामे रखा। इस बार घरेलू मांग मजबूत बनी हुई है। IMARC ग्रुप के अनुसार, 2023 में वैश्विक चावल बाजार का मूल्य 302.8 बिलियन डॉलर था। 2032 में इसके 371.8 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है।