राजनाथ सिंह ने सीमा क्षेत्र विकास सम्मेलन में सीमावर्ती गांवों में विकास सुनिश्चित करने के लिए केंद्र के प्रयासों पर जोर दिया

राजनाथ सिंह ने सीमा क्षेत्र विकास सम्मेलन में सीमावर्ती गांवों में विकास सुनिश्चित करने के लिए केंद्र के प्रयासों पर जोर दिया

नई दिल्ली: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को दिल्ली में सीमा क्षेत्र विकास सम्मेलन को संबोधित करते हुए सीमावर्ती गांवों में बुनियादी ढांचे और सामाजिक-आर्थिक विकास सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा की गई पहलों पर प्रकाश डाला।

सिंह ने केंद्र के वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम पर जोर देते हुए कहा, “हमारा उद्देश्य उत्तरी सीमा पर स्थित गांवों, खासकर उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और अरुणाचल प्रदेश में सीमित कनेक्टिविटी और बुनियादी ढांचे से पीड़ित गांवों को ‘मॉडल विलेज’ में बदलना है। हमारा लक्ष्य उन्हें विकास की मुख्यधारा से जोड़ना है।”

उन्होंने कहा कि पिछले 10 वर्षों में सीमा सड़क संगठन के सहयोग से सीमावर्ती क्षेत्रों में 8,500 किलोमीटर से अधिक सड़कों का निर्माण किया गया है।

सिंह ने कहा, “इसके अलावा, अगर मैं पुलों की बात करूं, तो इन वर्षों में हमने 400 से ज़्यादा स्थायी पुल बनाए हैं। चाहे वो अटल सुरंग हो, सेला सुरंग हो या फिर दुनिया की सबसे ऊंची सुरंग बनने जा रही शिकू-ला सुरंग हो, ये सभी सीमावर्ती क्षेत्र के विकास में मील के पत्थर साबित होंगी।”

उन्होंने कहा, “हमारी सरकार ने लद्दाख के सीमावर्ती क्षेत्रों को राष्ट्रीय विद्युत ग्रिड से जोड़ने के लिए 220 किलो वोल्ट की श्रीनगर-लेह विद्युत लाइन शुरू की है। इसके अलावा, पूर्वोत्तर राज्यों के पारेषण और वितरण ढांचे को मजबूत किया जा रहा है।”

इसके अलावा, सीमावर्ती गांवों में कनेक्टिविटी सुनिश्चित करने के प्रयासों पर प्रकाश डालते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत-नेट ब्रॉडबैंड परियोजना के माध्यम से 1,500 से अधिक गांवों में हाई-स्पीड इंटरनेट उपलब्ध कराया गया है। उन्होंने कहा, “पिछले चार वर्षों में ही 7,000 से अधिक सीमावर्ती गांवों को इंटरनेट कनेक्शन से जोड़ा गया है और हमारा ध्यान लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश पर रहा है।”

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़कों और पुलों का जाल बिछाकर संवेदनशील क्षेत्रों में त्वरित सैन्य तैनाती सुनिश्चित की है। सिंह ने इस बात पर भी जोर दिया कि इन क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के विकास से सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोग देश की बाकी आबादी से आसानी से जुड़ सकते हैं।

सिंह ने सीमावर्ती क्षेत्रों में पर्यटन की संभावनाओं पर भी जोर दिया, जिसमें पिछले कुछ वर्षों में काफी वृद्धि देखी गई है।

उन्होंने कहा, “सीमावर्ती क्षेत्रों में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं, लेकिन बुनियादी ढांचे की कमी के कारण यह वांछित ऊंचाइयों तक नहीं पहुंच सका। इस सरकार के सत्ता में आने के बाद से चीजें बदल गई हैं। हम इन क्षेत्रों में विकास की दिशा में काम कर रहे हैं।”

सिंह ने कहा, “2020 से 2023 तक लद्दाख, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में पर्यटकों की संख्या में 30 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। पिछले कुछ वर्षों की तुलना में कश्मीर में पर्यटकों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। इससे रोजगार सृजन और स्थानीय अर्थव्यवस्था में सुधार करने में मदद मिली है। हम जम्मू-कश्मीर को पर्यटन स्थल बनाने के लिए लगातार कदम उठा रहे हैं। जब सीमावर्ती क्षेत्रों में आर्थिक विकास होगा, तो हमें रिवर्स माइग्रेशन सहित कई सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेंगे।”

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