जानिए प्रोस्टेट ग्रंथि की समस्या के लिए आयुर्वेदिक उपचार।
पुरुषों के शरीर में प्रोस्टेट नाम की एक ग्रंथि होती है, जिसके स्वास्थ्य को लेकर लोग लापरवाह रहते हैं। चिंता की कोई बात नहीं, प्रोस्टेट की समस्या को लोग मामूली समझते हैं। क्योंकि इसका इलाज 100% संभव है। लेकिन तभी जब इलाज समय पर किया जाए, नहीं तो प्रोस्टेट की ठीक होने वाली बीमारी भी जानलेवा हो जाती है। इसका मतलब यह है कि ‘सही समय-सही कार्य’ के दर्शन को समझें। समस्या चाहे छोटी हो या बड़ी, उसे हल्के में न लें। योगाभ्यास और रामबाण आयुर्वेदिक उपायों से इसे दूर करें। एक योगिक सुरक्षा चक्र बनाएं। इसके लिए आइए स्वामी रामदेव से जानते हैं कि इम्यूनिटी कैसे मजबूत करें साथ ही किडनी, ब्लैडर, यूरेथ्रा और प्रोस्टेट यानी पेल्विक फ्लोर को ठीक करने के क्या उपाय हैं।
प्रोस्टेट समस्या क्या है?
पुरुषों में प्रोस्टेट ग्रंथि होती है। इस ग्रंथि के अंदर ऊतक बढ़ने लगते हैं। इससे ग्रंथि का आकार बढ़ने लगता है। बढ़ी हुई ग्रंथि मूत्र प्रवाह को रोक देती है और आपको पेशाब करने में परेशानी होती है। उम्र बढ़ने के साथ पुरुषों में यह समस्या होने लगती है।
प्रोस्टेट समस्याओं के कारण
जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ने की शिकायत होने लगती है। इसके अलावा खराब जीवनशैली भी इसका एक बड़ा कारण है। पोस्ट कोविड प्रभाव भी इसका एक कारण बन रहा है। आनुवंशिक समस्याओं के कारण भी प्रोस्टेट की समस्या हो सकती है। बढ़े हुए प्रोस्टेट की समस्या 40 साल की उम्र में शुरू हो सकती है। 80 साल के बाद प्रोस्टेट की समस्या 90% तक बढ़ जाती है।
प्रोस्टेट समस्याएँ और बीमारियाँ?
मूत्र मार्ग में संक्रमण मूत्राशय में संक्रमण गुर्दे की समस्या प्रोस्टेट कैंसर प्रोस्टेट समस्या पीएसए स्तर की स्थिति 0-4 सामान्य 4-10 संक्रमण 10 से अधिक गंभीर संक्रमण प्रोस्टेट कैंसर 20 से अधिक उन्नत चरण का प्रोस्टेट कैंसर
प्रोस्टेट के लिए असरदार उपाय
आयुर्वेद में ऐसे कई उपाय हैं जो प्रोस्टेट की समस्या को कम कर सकते हैं। इसके लिए एक बोतल लौकी का जूस, 7 तुलसी के पत्ते, 5 काली मिर्च मिलाकर पिएं। इससे काफी हद तक समस्या का समाधान हो सकता है. इसके अलावा गिलोय, तुलसी, नीम, व्हीटग्रास और एलोवेरा प्रोस्टेट कैंसर के लिए पंचामृत का काम करते हैं।
प्रोस्टेट के लिए असरदार काढ़ा
प्रोस्टेट के लिए आप काढ़ा भी पी सकते हैं। इसके लिए 10 ग्राम गोखरू और 10 ग्राम कचनार को दो गिलास पानी में उबालें और आधा गिलास पानी रह जाने पर इसे छान लें। काढ़ा ठंडा होने पर सुबह-शाम पियें। इसके अलावा पथरचटा भी इसमें फायदेमंद है। सुबह-शाम 5-5 पत्ते खाएं।
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