प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को लाल फोर्ड की प्राचीर से स्वतंत्रता दिवस समारोह का नेतृत्व किया। उन्होंने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की जोरदार वकालत की और राजनीतिक दलों से इस सपने को साकार करने के लिए आगे आने का आग्रह किया। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि ‘धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता’ समय की मांग है क्योंकि मौजूदा कानून ‘सांप्रदायिक नागरिक संहिता’ और भेदभावपूर्ण हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता सेनानियों के प्रति देश की गहरी कृतज्ञता पर जोर देते हुए कहा कि राष्ट्र उनके बलिदानों का ऋणी है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि स्वतंत्रता दिवस देश की स्वतंत्रता के लिए लड़ने वालों की बहादुरी और समर्पण को सम्मान देने और याद करने का अवसर है। मोदी ने नागरिकों से बलिदानों पर विचार करने और एक मजबूत और विकसित भारत के निर्माण में स्वतंत्रता संग्राम की विरासत को आगे बढ़ाने का आह्वान किया। उन्होंने हाल के वर्षों में प्राकृतिक आपदाओं के बढ़ते प्रभाव पर भी चिंता व्यक्त की। पीएम ने ऐसी आपदाओं की लगातार घटनाओं के कारण लोगों के बीच बढ़ती चिंता को उजागर किया।
देश और देश के बाहर प्रचलित सभी प्रमुख मुद्दों को छूते हुए प्रधानमंत्री ने लगभग 98 मिनट तक भाषण दिया।