प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के कार्यान्वयन का आह्वान करते हुए कहा कि वर्तमान ‘सांप्रदायिक’ नागरिक संहिता के स्थान पर ‘धर्मनिरपेक्ष’ नागरिक संहिता लागू की जानी चाहिए।
लाल किले की प्राचीर से अपने स्वतंत्रता दिवस के भाषण के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “सर्वोच्च न्यायालय ने समान नागरिक संहिता के बारे में बार-बार चर्चा की है, कई बार आदेश दिए हैं। देश का एक बड़ा वर्ग मानता है – और यह सच है, कि जिस नागरिक संहिता के साथ हम रह रहे हैं, वह वास्तव में एक तरह से सांप्रदायिक नागरिक संहिता है। मैं कहूंगा कि यह समय की मांग है कि देश में एक धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता हो। तभी हम धर्म के आधार पर भेदभाव से मुक्त हो सकेंगे।”
विपक्ष पर कटाक्ष करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत संकल्प के साथ आगे बढ़ रहा है, लेकिन कुछ लोग ऐसे हैं जो प्रगति नहीं देख सकते या भारत के भले के बारे में तब तक नहीं सोच सकते जब तक कि इससे उन्हें लाभ न हो।
प्रधानमंत्री मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर अपने भाषण में कहा, “हम संकल्प के साथ आगे बढ़ रहे हैं, लेकिन कुछ लोग हैं जो प्रगति नहीं देख सकते या भारत के भले के बारे में तब तक नहीं सोच सकते जब तक कि इससे उन्हें लाभ न हो… देश को इन मुट्ठी भर निराशावादी लोगों से खुद को बचाने की जरूरत है। बाहरी और आंतरिक दोनों तरह की अनगिनत चुनौतियां हैं – ये केवल बढ़ेंगी। मैं ऐसी ताकतों से कहना चाहता हूं कि भारत का विकास किसी के लिए खतरा नहीं होगा। दुनिया को भारत के विकास को देखकर चिंता नहीं करनी चाहिए।”
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