‘पूर्व नियोजित हमला, पुलिस की मिलीभगत’: आरजी कार हिंसा पर सुवेंदु ने केंद्र को लिखा पत्र

Kolkata RG Kar Violence Suvendu Adhikari Writes Letter To Home ministry


पश्चिम बंगाल में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने गुरुवार को गृह मंत्रालय को कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में हुई बर्बरता के संबंध में पत्र लिखा और सरकार से अस्पताल में सबूतों को नष्ट होने से रोकने के लिए अर्धसैनिक बलों को तैनात करने का आग्रह किया।

भाजपा नेता ने गृह मंत्रालय में गृह सचिव अजय कुमार भल्ला को संबोधित एक पत्र में कहा कि कोलकाता के अस्पताल में हुई घटना की बर्बरता ने लोगों और देश की अंतरात्मा को झकझोर कर रख दिया है।

अधिकारी बुधवार और गुरुवार की मध्य रात्रि में आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में हुई अराजकता का जिक्र कर रहे थे, जहां बाहरी लोगों के एक समूह ने जबरन अस्पताल परिसर में प्रवेश किया और संपत्ति को नुकसान पहुंचाया तथा वहां मौजूद पुलिसकर्मियों पर पथराव शुरू कर दिया।

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पत्र की प्रति साझा करते हुए, सुवेंदु अधिकारी ने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार और कोलकाता पुलिस ने अपराधियों को अपनी जागीर स्थापित करने और फिर टीएमसी के गुंडों को सबूत नष्ट करने के लिए पूरे परिसर में घुसने की इजाजत देकर आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल को बदबूदार दलदल में बदल दिया है।

पत्र में सुवेंदु ने कहा, “जबकि अनियंत्रित गुंडों की भीड़ ने पुलिस द्वारा लगाए गए बैरिकेड्स तोड़ दिए और अस्पताल परिसर में घुस गए, वहीं पुलिस कर्मी हिंसा के ऐसे कृत्यों के मूकदर्शक बने रहे। पुलिस ने दंगाइयों को परिसर में घुसने से रोकने का कोई प्रयास नहीं किया।”

उन्होंने कहा, “भीड़ ने सीधे तौर पर “आपातकालीन” खंड पर हमला किया और वहां आने वाली हर चीज को तोड़-फोड़ दिया, जिसमें प्रदर्शनकारी छात्रों द्वारा लगाया गया धरना मार्च भी शामिल था… उक्त “आपातकालीन” खंड में मौजूद नर्सिंग स्टाफ को अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भागना पड़ा, जबकि पुलिसकर्मी मूकदर्शक बने रहे, जिसका विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक मीडिया आउटलेट्स पर सीधा प्रसारण किया गया।”

अधिकारी ने कहा कि दंगाइयों ने एक सुनियोजित अभियान के तहत आगजनी की तथा एमआरआई मशीनों सहित अस्पताल के अन्य मूल्यवान चिकित्सा उपकरणों को नष्ट कर दिया, जिससे सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ।

उन्होंने आगे आरोप लगाया कि जिस तरह से दंगा और तोड़फोड़ हुई, उससे पता चलता है कि यह एक पूर्व नियोजित हमला था और कहा कि उपद्रवी हावड़ा और कमरहाटी से आई दंगाई भीड़ का हिस्सा थे।

अधिकारी ने कहा कि हालांकि अपराध स्थल की सुरक्षा करना पुलिस अधिकारियों का कर्तव्य था, लेकिन वे अपने कर्तव्य में बुरी तरह विफल रहे। उन्होंने कोलकाता पुलिस और कमिश्नर की भूमिका पर भी सवाल उठाए।

उन्होंने कहा, “पुलिस अधिकारियों का यह कर्तव्य था कि वे अपराध स्थल की सुरक्षा करें और साथ ही उक्त मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में काम करने वाले लोगों तथा इलाज करा रहे मरीजों को सुरक्षा प्रदान करें। हालांकि, पुलिस अधिकारी अपने कर्तव्य में बुरी तरह विफल रहे और अपनी अक्षमता के कारण निर्दोष नागरिकों की रक्षा करने के बजाय खुद को शौचालयों में बंद कर लिया, जिससे पूरा अस्पताल दंगाइयों के सामने खुला रह गया।”

उन्होंने कहा, “इसके अलावा, जब भीड़ ने अपना उत्पात मचाना समाप्त कर लिया, तो दिखावे के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागने शुरू कर दिए, जिससे यह बात और स्पष्ट हो गई कि पुलिस अधिकारी दंगाइयों के साथ मिले हुए थे…कोलकाता पुलिस और उसके आयुक्त की भूमिका संदिग्ध है।”



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