नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को तीन परम रुद्र सुपरकंप्यूटर और हाई-परफॉरमेंस कंप्यूटिंग सिस्टम राष्ट्र को समर्पित किए। ये सिस्टम क्रमशः दिल्ली, पुणे और कोलकाता में लगाए गए हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा, “ये सुपरकंप्यूटर यह सुनिश्चित करने में बहुत मददगार साबित होंगे कि भारत के वैज्ञानिकों को अत्याधुनिक सुविधाएं प्राप्त हों।” “आज लॉन्च किए गए तीन सुपरकंप्यूटर भौतिकी, पृथ्वी विज्ञान और ब्रह्मांड विज्ञान से जुड़े उन्नत शोध में मदद करेंगे।”
परम रुद्र सुपरकंप्यूटर और एचपीसी प्रणाली के साथ, भारत कंप्यूटिंग में आत्मनिर्भरता और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में नवाचार को बढ़ावा देने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है। https://t.co/ZUlM5EA3yw
-नरेंद्र मोदी (@नरेंद्रमोदी) 26 सितंबर, 2024
उन्होंने कहा, “युवा दिमागों में वैज्ञानिक सोच पैदा करने के लिए स्कूलों में 10,000 अटल टिंकरिंग लैब स्थापित किए गए हैं। इसके अलावा, STEM विषयों के लिए छात्रवृत्ति बढ़ा दी गई है।”
राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन (NSM) की स्थापना देश को एक मजबूत सुपरकंप्यूटिंग बुनियादी ढांचा प्रदान करने के लिए की गई थी ताकि शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं, एमएसएमई और स्टार्टअप की बढ़ती कम्प्यूटेशनल जरूरतों को पूरा किया जा सके। यह देश की कंप्यूटिंग शक्ति को बढ़ाने के उद्देश्य से अपनी तरह की पहली पहल है।
राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन का प्रबंधन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) तथा इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) द्वारा संयुक्त रूप से किया जाता है तथा इसका क्रियान्वयन प्रगत कंप्यूटिंग विकास केंद्र (सी-डैक), पुणे तथा भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी), बेंगलुरु द्वारा किया जा रहा है।
ये सुपरकंप्यूटर मौसम और जलवायु, कम्प्यूटेशनल फ्लूइड डायनेमिक्स, बायोइनफॉरमैटिक्स और मैटेरियल साइंस जैसे डोमेन के लिए उपयोगी एप्लीकेशन से लैस हैं। ये सिस्टम मशीन लर्निंग और डीप लर्निंग फ्रेमवर्क पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) क्षमताएं प्रदान करते हैं, साथ ही क्लाउड सेवा के रूप में कंप्यूट और स्टोरेज भी प्रदान करते हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘‘इस वर्ष के बजट में एक लाख करोड़ रुपये के अनुसंधान कोष की घोषणा की गई है ताकि भारत 21वीं सदी की दुनिया को सशक्त बना सके।’’
अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने हाल की सफलताओं की ओर इशारा करते हुए कहा, “भारत का लक्ष्य 2035 तक ‘भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन’ स्थापित करना है।”
2023 में, भारत ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 की सफल सॉफ्ट लैंडिंग और भारत के पहले सौर मिशन आदित्य-एल1 के प्रक्षेपण के साथ नई ऊंचाइयों को छुआ। इन मील के पत्थरों ने न केवल वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में भारत की स्थिति को मजबूत किया, बल्कि देश में निजी अंतरिक्ष क्षेत्र के विकास को भी बढ़ावा दिया।
भारत अब महत्वाकांक्षी गगनयान मिशन की तैयारी कर रहा है, जिसका उद्देश्य अंतरिक्ष यात्रियों के एक दल को कक्षा में भेजकर तथा उन्हें भारत के समुद्री जल में नियोजित लैंडिंग के साथ सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाकर मानव अंतरिक्ष उड़ान क्षमताओं का प्रदर्शन करना है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि सेमीकंडक्टर क्षेत्र भी भारत की वृद्धि का एक महत्वपूर्ण घटक बन गया है।
सरकार ने अब तक भारत में पांच सेमीकंडक्टर इकाइयों को मंजूरी दी है, जिनमें से दो पर निर्माण कार्य पहले ही शुरू हो चुका है। शेष तीन साइटों पर काम जल्द ही शुरू हो जाएगा। कंपनियों ने पहले ही लगभग 1.5 लाख करोड़ रुपये का संचयी निवेश किया है।