मुंबई की एक अदालत ने बुधवार को बर्खास्त आरपीएफ कांस्टेबल चेतन सिंह चौधरी पर चार लोगों की हत्या और धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने का आरोप लगाया। चौधरी पर पिछले साल पालघर में चलती ट्रेन में चार लोगों की गोली मारकर हत्या करने का आरोप था, जिसके बाद उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था।
चौधरी फिलहाल अकोला जेल में बंद हैं। आज आरोप तय होने के बाद अब इस मामले में सुनवाई शुरू होगी। चौधरी पर भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या), 153-ए (धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) और अन्य के तहत आरोप लगाए गए हैं। पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, उन पर रेलवे अधिनियम और महाराष्ट्र संपत्ति विरूपण रोकथाम अधिनियम के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत भी आरोप लगाए गए हैं।
यह घटना 31 जुलाई, 202 को महाराष्ट्र के पालघर रेलवे स्टेशन के पास जयपुर-मुंबई सेंट्रल एक्सप्रेस ट्रेन में हुई थी। सह-यात्रियों द्वारा चेन खींचने के बाद ट्रेन मुंबई उपनगरीय नेटवर्क पर मीरा रोड स्टेशन के पास रुक गई।
चौधरी को बाद में हथियार के साथ उस समय पकड़ लिया गया जब वह भागने की कोशिश कर रहा था।
चौधरी पर रेलवे सुरक्षा बल (RPF) के सहायक उपनिरीक्षक टीका राम मीना और ट्रेन में सवार तीन अन्य यात्रियों की हत्या का आरोप है। चौधरी ने अनजाने में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश के समक्ष अपराध स्वीकार कर लिया था। हालांकि, बाद में उसने अपना बयान बदल दिया और कहा कि वह निर्दोष है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि चौधरी के वकीलों ने अदालत को बताया कि उन्हें पर्याप्त आराम नहीं मिला था और अगर उन्हें पर्याप्त आराम मिला होता तो यह घटना नहीं होती। उनके वकीलों ने यह भी कहा कि चूंकि एक महिला को छोड़कर किसी भी गवाह ने यह दावा नहीं किया है कि चौधरी ने सांप्रदायिक बयान दिया है, इसलिए धार्मिक दुश्मनी को बढ़ावा देने का आरोप नहीं लगाया जा सकता।
अदालत ने आज सुनवाई पूरी कर ली और आरोपियों के खिलाफ आरोप तय कर दिए।
मामले की अगली सुनवाई 20 अगस्त को तय की गई है। चौधरी की पत्नी का दावा है कि उनकी तबीयत ठीक नहीं थी, क्योंकि उनके मस्तिष्क में थक्का जम गया था, इसलिए उन्हें घटना की जानकारी नहीं थी।