केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने मंगलवार को लोकसभा में ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ विधेयक पेश किया, जिस पर विपक्ष ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। कांग्रेस, समाजवादी पार्टी (एसपी) और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के प्रमुखों ने कहा कि यह बिल अव्यावहारिक और संविधान की भावना के खिलाफ है.
विपक्ष की कड़ी प्रतिक्रियाएँ
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी और सपा सांसद धर्मेंद्र यादव ने इसका विरोध करते हुए कहा कि बीजेपी दोहरे मापदंड अपनाती है. उन्होंने कहा, ”भाजपा, जो 8 राज्यों में एक साथ चुनाव नहीं करा सकी, अब पूरे देश में एक साथ चुनाव की बात करती है।”
टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने भी बिल का विरोध करते हुए कहा कि यह संविधान के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है।
जयराम रमेश की आलोचना
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ नए संविधान के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है. एएनआई को संबोधित करते हुए उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा, “आरएसएस और पीएम मोदी का वास्तविक एजेंडा एक नया संविधान लाना है, न कि इसमें संशोधन करना।”
नड्डा का पलटवार
राज्यसभा में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने धर्म आधारित आरक्षण के खिलाफ डॉ. बीआर अंबेडकर के रुख का जिक्र करते हुए विपक्ष के दावों का जवाब दिया। नड्डा ने विपक्ष पर राजनीतिक तुष्टीकरण के लिए संविधान को विकृत करने का आरोप लगाया और आरक्षण मुद्दे पर बहस की मांग की, जिसे विपक्ष ने खारिज कर दिया.