मुस्लिम जनसंख्या वृद्धि ने विवाद को जन्म दिया: प्रतिक्रिया और एफआईआर के बीच सपा विधायक ने भाजपा के पतन की भविष्यवाणी की

मुस्लिम जनसंख्या वृद्धि ने विवाद को जन्म दिया: प्रतिक्रिया और एफआईआर के बीच सपा विधायक ने भाजपा के पतन की भविष्यवाणी की

समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायक महबूब अली ने यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया है कि भारत में बढ़ती मुस्लिम आबादी उत्तर प्रदेश में भाजपा के शासन का अंत कर देगी। बिजनौर में एक सार्वजनिक बैठक के दौरान की गई उनकी टिप्पणी के परिणामस्वरूप उनके खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की गई, जिससे राजनीतिक हलकों में तीखी प्रतिक्रिया हुई। अली ने दावा किया कि बढ़ती मुस्लिम जनसांख्यिकी के साथ, आगामी चुनावों में सपा सत्ता में लौटेगी, जो राजनीतिक गतिशीलता में बदलाव का संकेत है। उनकी टिप्पणियों को सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से प्रसारित किया गया है, जिससे भाजपा नेताओं ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उन्हें विभाजनकारी करार दिया है।

विवादास्पद बयान: मुस्लिम आबादी के संबंध में सपा विधायक महबूब अली की टिप्पणी से काफी आक्रोश फैल गया, जिसके कारण उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई।

राजनीतिक पूर्वानुमान: बिजनोर में एक सार्वजनिक संबोधन के दौरान, अली ने भविष्यवाणी की कि बढ़ती मुस्लिम जनसांख्यिकी के कारण भाजपा का शासन समाप्त हो जाएगा, और दावा किया कि सपा फिर से सत्ता हासिल करेगी।

ऐतिहासिक संदर्भ: अली ने 850 वर्षों के मुगल शासनकाल का संदर्भ दिया, यह सुझाव देते हुए कि जनता राजनीतिक रूप से अधिक जागरूक और सक्रिय हो रही है, खासकर 2027 के चुनावों से पहले।

पार्टी की प्रतिक्रियाएँ: अली के बयानों के माध्यम से कथित तौर पर धार्मिक शत्रुता को बढ़ावा देने के लिए एफआईआर में एसपी के बिजनौर प्रमुख शेख जाकिर का भी नाम लिया गया है।

भाजपा की प्रतिक्रिया: भाजपा नेताओं ने अली की टिप्पणियों को सपा के भीतर हिंदू विरोधी भावना को प्रतिबिंबित करने वाला बताते हुए इसकी आलोचना की है और इस बात पर जोर दिया है कि ऐसी टिप्पणियां पार्टी की विश्वसनीयता को कमजोर करती हैं।

सोशल मीडिया चर्चा: अली के बयान सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वायरल हो गए हैं, जिससे भारत में धार्मिक जनसांख्यिकी और राजनीतिक रणनीतियों पर बहस और चर्चा तेज हो गई है।

जवाबदेही की मांग: भाजपा ने एसपी से जवाबदेही की मांग की है, यह तर्क देते हुए कि विभाजनकारी बयानबाजी मुख्य रूप से हिंदू आबादी वाले देश में सांप्रदायिक सद्भाव को खतरे में डाल सकती है।

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