उत्तराखंड आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास सचिव विनोद कुमार सुमन ने शनिवार को घोषणा की कि केदारनाथ यात्रा मार्ग के विभिन्न क्षेत्रों में फंसे कुल 9,099 लोगों को बचाया गया है। समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, सचिव ने कहा कि भारी बारिश के बाद 31 जुलाई को बचाव अभियान शुरू हुआ और पूरी गति से चल रहा है। 2 अगस्त तक कुल 7234 यात्रियों को बचाया गया है, 3 अगस्त को अतिरिक्त 1,865 यात्रियों को बचाया गया, इस प्रकार कुल 9099 यात्री बचाए गए।
विनोद कुमार सुमन ने बताया कि 3 अगस्त को केदारनाथ से 43, लिनचौली व भीमबली से 495 तथा चिड़बासा (गौरीकुंड) से 75 यात्रियों को एयरलिफ्ट किया गया।
इसके अलावा, 90 यात्री भीमबली-लिनचौली से चौमासी-कालीमठ तक सुरक्षित रूप से चले, तथा 1,162 यात्री गौरीकुंड से सोनप्रयाग तक पहुंचे। विभिन्न स्थानों पर अभी भी फंसे लगभग 1,000 यात्रियों को निकालने के प्रयास जारी हैं। उन्होंने आगे बताया कि 31 जुलाई को भारी बारिश के कारण 15 लोगों की मौत हो गई।
उन्होंने यह भी कहा कि राहत एवं बचाव कार्यों में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, वायुसेना के चिनूक और एमआई-17 हेलीकॉप्टर तैनात हैं।
एनडीआरएफ के 83, एसडीआरएफ, डीडीआरएफ व पीआरडी के 168, पुलिस विभाग के 126 तथा अग्निशमन विभाग के 35 कार्मिक विभिन्न स्थानों पर तैनात हैं। “अवरूद्ध सड़कों को खोलने के लिए 35 आपदा मित्रों के साथ ही लोक निर्माण विभाग के माध्यम से कार्यरत 150 मजदूरों को तैनात किया गया है। स्वास्थ्य विभाग के 12 चिकित्सकों के नेतृत्व में 32 कर्मचारी अपनी सेवाएं दे रहे हैं।”
एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार सचिव ने कहा, “राजस्व विभाग के 57, जीएमवीएन के 68 और खाद्य विभाग के 27 कर्मचारी संबंधित व्यवस्थाओं को सही करने में लगे हुए हैं। इस प्रकार कुल 882 जवान/कार्मिक युद्ध स्तर पर राहत और बचाव कार्यों में लगे हुए हैं।”
‘यात्री सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है:’ उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी
सीएम पुष्कर सिंह धामी बचाव कार्यों की निगरानी कर रहे हैं, जो यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बड़े पैमाने पर किए जा रहे हैं। धामी ने जोर देकर कहा कि यात्रियों की सुरक्षा सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है।
उन्होंने आश्वासन दिया कि जो लोग अभी भी फंसे हुए हैं उनके लिए आश्रय और भोजन की पर्याप्त व्यवस्था की गई है और उनकी ज़रूरतें पूरी की जा रही हैं। पूरे बचाव अभियान की निगरानी राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र से लगातार की जा रही है, मौसम संबंधी चुनौतियों के बावजूद सभी यात्रियों को सुरक्षित निकालने के प्रयास जारी हैं।
उत्तराखंड आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास सचिव विनोद कुमार सुमन ने शनिवार को घोषणा की कि केदारनाथ यात्रा मार्ग के विभिन्न क्षेत्रों में फंसे कुल 9,099 लोगों को बचाया गया है। समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, सचिव ने कहा कि भारी बारिश के बाद 31 जुलाई को बचाव अभियान शुरू हुआ और पूरी गति से चल रहा है। 2 अगस्त तक कुल 7234 यात्रियों को बचाया गया है, 3 अगस्त को अतिरिक्त 1,865 यात्रियों को बचाया गया, इस प्रकार कुल 9099 यात्री बचाए गए।
विनोद कुमार सुमन ने बताया कि 3 अगस्त को केदारनाथ से 43, लिनचौली व भीमबली से 495 तथा चिड़बासा (गौरीकुंड) से 75 यात्रियों को एयरलिफ्ट किया गया।
इसके अलावा, 90 यात्री भीमबली-लिनचौली से चौमासी-कालीमठ तक सुरक्षित रूप से चले, तथा 1,162 यात्री गौरीकुंड से सोनप्रयाग तक पहुंचे। विभिन्न स्थानों पर अभी भी फंसे लगभग 1,000 यात्रियों को निकालने के प्रयास जारी हैं। उन्होंने आगे बताया कि 31 जुलाई को भारी बारिश के कारण 15 लोगों की मौत हो गई।
उन्होंने यह भी कहा कि राहत एवं बचाव कार्यों में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, वायुसेना के चिनूक और एमआई-17 हेलीकॉप्टर तैनात हैं।
एनडीआरएफ के 83, एसडीआरएफ, डीडीआरएफ व पीआरडी के 168, पुलिस विभाग के 126 तथा अग्निशमन विभाग के 35 कार्मिक विभिन्न स्थानों पर तैनात हैं। “अवरूद्ध सड़कों को खोलने के लिए 35 आपदा मित्रों के साथ ही लोक निर्माण विभाग के माध्यम से कार्यरत 150 मजदूरों को तैनात किया गया है। स्वास्थ्य विभाग के 12 चिकित्सकों के नेतृत्व में 32 कर्मचारी अपनी सेवाएं दे रहे हैं।”
एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार सचिव ने कहा, “राजस्व विभाग के 57, जीएमवीएन के 68 और खाद्य विभाग के 27 कर्मचारी संबंधित व्यवस्थाओं को सही करने में लगे हुए हैं। इस प्रकार कुल 882 जवान/कार्मिक युद्ध स्तर पर राहत और बचाव कार्यों में लगे हुए हैं।”
‘यात्री सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है:’ उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी
सीएम पुष्कर सिंह धामी बचाव कार्यों की निगरानी कर रहे हैं, जो यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बड़े पैमाने पर किए जा रहे हैं। धामी ने जोर देकर कहा कि यात्रियों की सुरक्षा सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है।
उन्होंने आश्वासन दिया कि जो लोग अभी भी फंसे हुए हैं उनके लिए आश्रय और भोजन की पर्याप्त व्यवस्था की गई है और उनकी ज़रूरतें पूरी की जा रही हैं। पूरे बचाव अभियान की निगरानी राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र से लगातार की जा रही है, मौसम संबंधी चुनौतियों के बावजूद सभी यात्रियों को सुरक्षित निकालने के प्रयास जारी हैं।