बेंगलुरु, 7 सितंबर: दुनिया भर में मंकीपॉक्स के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, ऐसे में विशेषज्ञ इस बात को लेकर चिंता जता रहे हैं कि यह मस्तिष्क सहित तंत्रिका तंत्र को प्रभावित कर सकता है। हालांकि यह वायरस मुख्य रूप से बुखार और चकत्ते पैदा करने के लिए जाना जाता है, लेकिन स्वास्थ्य पेशेवर अब चेतावनी दे रहे हैं कि गंभीर मामलों में, मंकीपॉक्स से एन्सेफलाइटिस और मेनिन्जाइटिस जैसी तंत्रिका संबंधी जटिलताएं हो सकती हैं।
फोर्टिस अस्पताल में न्यूरोलॉजी के प्रमुख डॉ. प्रवीण गुप्ता ने बताया कि मंकीपॉक्स आम तौर पर एक वायरल संक्रमण है जो कुछ दिनों में ठीक हो जाता है, लेकिन यह कुछ रोगियों में तंत्रिका तंत्र को काफी नुकसान पहुँचाने की क्षमता रखता है। डॉ. गुप्ता ने कहा, “वायरस मस्तिष्क में सूजन पैदा कर सकता है, जिससे एन्सेफलाइटिस हो सकता है, जो सिरदर्द, बुखार और यहाँ तक कि मस्तिष्क की सूजन के रूप में प्रकट होता है। मेनिनजाइटिस, मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के आसपास की झिल्लियों की सूजन भी एक संभावित परिणाम है।”
हालांकि ये मामले दुर्लभ हैं, लेकिन इनसे गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा होते हैं। वायरस, जो निकट संपर्क से फैलता है, आमतौर पर त्वचा और श्वसन पथ को प्रभावित करता है। हालांकि, कुछ मामलों में, यह तंत्रिका तंत्र को भी नुकसान पहुंचा सकता है, खासकर कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले रोगियों में।
तंत्रिका संबंधी जटिलताएं और उनके कारण:
मंकीपॉक्स वायरस मुख्य रूप से त्वचा और श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है, लेकिन कुछ मामलों में, यह तंत्रिका तंत्र में फैल सकता है, जिससे तंत्रिका कोशिकाओं को नुकसान पहुंचता है और सूजन हो जाती है। डॉ. गुप्ता ने इस बात पर जोर दिया कि हालांकि मंकीपॉक्स के अधिकांश रोगियों को न्यूरोलॉजिकल समस्याएं नहीं होती हैं, लेकिन जिन लोगों की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है, वे इन जटिलताओं के प्रति अधिक संवेदनशील हो सकते हैं।
मंकीपॉक्स का उपचार:
फिलहाल, मंकीपॉक्स के लिए कोई विशेष टीका नहीं है, लेकिन वायरस के प्रबंधन के लिए शुरुआती पहचान और लक्षणात्मक उपचार महत्वपूर्ण हैं। रिपोर्ट्स बताती हैं कि सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) निकट भविष्य में वायरस के लिए एक टीका विकसित करने के लिए काम कर रहा है।
मंकीपॉक्स के लिए निवारक उपाय:
फ्लू जैसे लक्षण या त्वचा पर चकत्ते वाले व्यक्तियों के साथ निकट संपर्क से बचें।
संक्रमित व्यक्ति की व्यक्तिगत वस्तुओं का उपयोग करने या उसके संपर्क में आने से बचें।
बार-बार हाथ धोने सहित स्वच्छता का उच्च स्तर बनाए रखें।
यदि फ्लू जैसे लक्षण दिखाई दें तो तुरंत चिकित्सा सहायता लें।