लखनऊ, 10 सितम्बर (भाषा) बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती ने मंगलवार को कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार को शिक्षक भर्ती मामले में ईमानदार रुख अपनाना चाहिए और सुनिश्चित करना चाहिए कि आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के साथ कोई अन्याय न हो।
उनका यह बयान सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाने के एक दिन बाद आया है, जिसमें राज्य सरकार को आरक्षण फार्मूले से संबंधित शिकायतों पर राज्य में 69,000 सहायक शिक्षकों के लिए नई चयन सूची तैयार करने को कहा गया था।
मायावती ने एक्स पर हिंदी में लिखे पोस्ट में कहा, “यूपी शिक्षक भर्ती मामले में आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के साथ किसी भी तरह का अन्याय नहीं होना चाहिए। उन्हें उनका संवैधानिक अधिकार जरूर मिलना चाहिए। साथ ही सरकार को इस मामले में ईमानदार रुख अपनाना चाहिए, ताकि उनके साथ कोई अन्याय न हो।”
यू.पी. शिक्षक भर्ती मामले में कक्षा वर्ग के अभ्यर्थियों के साथ अन्याय नहीं होना चाहिए। उन्हें अपना संवैधानिक हक अवश्य मिलना चाहिए। साथ ही, सरकार इस मामले में अपना ईमानदार रुख अपनाए, ताकि उनके साथ कोई भी नैनसाफी ना हो।
— मायावती (@Mayawati) 10 सितंबर, 2024
शीर्ष अदालत ने सोमवार को राज्य प्राधिकारियों द्वारा जून 2020 और जनवरी 2022 में जारी सहायक शिक्षकों की चयन सूचियों को रद्द करने के उच्च न्यायालय के फैसले पर भी रोक लगा दी थी, जिसमें 6,800 उम्मीदवार शामिल थे।
उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक लगाते हुए मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने रवि कुमार सक्सेना और 51 अन्य द्वारा दायर याचिका पर राज्य सरकार और उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा बोर्ड के सचिव सहित अन्य को नोटिस भी जारी किए।
उच्च न्यायालय ने अगस्त में राज्य सरकार को राज्य में 69,000 सहायक शिक्षकों की नियुक्ति के लिए नई चयन सूची तैयार करने का निर्देश दिया था।
उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने महेंद्र पाल और अन्य द्वारा पिछले वर्ष 13 मार्च के एकल न्यायाधीश के आदेश को चुनौती देने वाली 90 विशेष अपीलों का निपटारा करते हुए यह आदेश जारी किया था।
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