जिनके गाने चेहरे पर मुस्कान ले आते हैं, जिनका क्रेज नई पीढ़ियों में भी है, ऐसे हरफनमौला कलाकार किशोर कुमार का आज जन्मदिन है। ये दिग्गज मध्य प्रदेश के खंडवा के रहने वाले थे। मुंबई में निधन के बाद उनका अंतिम संस्कार उनकी जन्मभूमि खंडवा में ही किया गया था। लेकिन क्या आप जानते हैं कि उनकी एक आखिरी इच्छा अधूरी रह गई? जिंदादिली और जिंदादिली की जिंदगी जीने वाले किशोर कुमार खंडवा में अपनों के बीच और मालवा की संस्कृति के बीच बसना चाहते थे। किशोर दा वेनिस से बेहद प्रेरित और प्रभावित थे। इतना कि वो खंडवा में अपने पुश्तैनी घर को वेनिस जैसे घर की शक्ल देना चाहते थे। लेकिन खुदाई के दौरान मिले कंकाल ने उनका सपना चकनाचूर कर दिया। दिल में यही ख्वाहिश लिए वो इस दुनिया से चले गए।
किशोर कुमार का विरासत घर
किशोर कुमार की लाइफ स्टाइल बाकी सबसे अलग थी. प्यार, ट्रेजेडी, ड्रामा, एक्शन हर अंदाज उनके जीवन से अंत तक जुड़ा रहा. किशोर दा का एक सपना था. वो अपने पैतृक शहर खंडवा में वेनिस जैसा घर बनाना चाहते थे. सपना तब टूट गया जब काम शुरू होते ही एक कंकाल मिला. उन्होंने मजदूरों से बंगले के चारों ओर नहर खोदने को भी कहा था, ये खुदाई महीनों तक चलती रही, लेकिन बीच में एक कंकाल का डरावना हाथ मिलने पर हड़कंप मच गया, फिर मजदूर वहां से भाग गए और किशोर दा का सपना टूट गया.
खंडवा में धड़कता था किशोर का दिल
किशोर दा मुंबई में रहते थे, लेकिन उनका दिल खंडवा आने के लिए धड़कता रहता था। वे यहां दही बड़े, पोहा और दूध-जलेबी खाने के लिए हमेशा लालायित रहते थे। नगर निगम के रिकॉर्ड में किशोर कुमार का बंगला उनके पिता कुंजीलाल गांगुली के नाम पर है। बुजुर्ग सीताराम करीब 44 साल से बंगले की रखवाली कर रहे थे। इतना ही नहीं, रिपोर्ट्स बताती हैं कि कई बार किशोर के मुंबई में रहने वाले परिवार को बंगले की देखभाल के लिए कहा गया, लेकिन किसी ने दिलचस्पी नहीं दिखाई।
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