करवा चौथ 2024: जानिए तिथि, चंद्रोदय का समय, महत्व और बहुत कुछ

करवा चौथ 2024: जानिए तिथि, चंद्रोदय का समय, महत्व और बहुत कुछ

छवि स्रोत: सामाजिक जानिए करवा चौथ 2024 की तारीख, चंद्रोदय का समय, महत्व और बहुत कुछ।

करवा चौथ मुख्य रूप से गुजरात, महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश और हिमाचल प्रदेश, दिल्ली में मनाया जाता है। इस दिन संकष्टी चतुर्थी का व्रत भी रखा जाता है, इसे करक चतुर्थी भी कहा जाता है। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए करवा चौथ का व्रत रखती हैं और भगवान शिव, माता पार्वती और कार्तिकेय के साथ-साथ भगवान गणेश की भी पूजा करती हैं।

आजकल कुछ युवतियां भी अपने होने वाले पति के लिए यह व्रत रखती हैं, हालांकि उनके व्रत के नियम कुछ अलग होते हैं। इसके अलावा कुछ पति भी करवा चौथ का व्रत रखते हैं। हालाँकि इस व्रत में सबसे पहले देवी पार्वती, भगवान शिव, कार्तिकेय, गणेश जी और चौथ माता (देवी पार्वती का एक रूप) की पूजा की जाती है।

करवा चौथ की कथा सुनी जाती है। बाद में चंद्रमा के दर्शन और उसे करवा (मिट्टी के बर्तन) से अर्घ्य देने के बाद ही व्रत खोला जाता है। करवा चौथ का व्रत बहुत कठिन व्रत माना जाता है क्योंकि इस दिन महिलाएं चंद्रमा के दर्शन तक बिना भोजन या पानी ग्रहण किए व्रत रखती हैं। पूजा के बाद इसे किसी ब्राह्मण या किसी योग्य महिला को दान कर दिया जाता है।

करवा चौथ कब है (तारीख और समय)

कार्तिक कृष्ण चतुर्थी तिथि प्रारंभ: रविवार, 20 अक्टूबर, 2024 प्रातः 06:46 बजे कार्तिक कृष्ण चतुर्थी तिथि समाप्त: सोमवार, 21 अक्टूबर, 2024 प्रातः 04:16 बजे करवा चौथ व्रत: रविवार, 20 अक्टूबर 2024 करवा चौथ पूजा मुहूर्त: 05 :46 बजे से शाम 07:02 बजे तक (अवधि: 01 घंटा 16 मिनट) करवा चौथ व्रत का समय: सुबह 06:25 बजे से शाम 07:54 बजे तक (अवधि: 13 घंटे 29 मिनट) करवा चौथ के दिन चंद्रोदय का समय: 07:54 बजे

करवा चौथ पूजा विधि

करवा चौथ व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें, साफ कपड़े पहनें और व्रत का संकल्प लें।

इसके बाद साफ हाथों से घर की दीवारों पर गेरू से करवा का चित्र बनाएं। सोलह श्रृंगार करने के बाद पूजा स्थान पर माता पार्वती, भगवान शिव, गणेशजी और कार्तिकेय की तस्वीर रखें।

एक करवा में जल भरकर उसे पूजा स्थल पर रखें और उसमें जल भर दें।

इसके बाद सूर्य को जल चढ़ाएं और चौथ माता की कहानी सुनें। कथा समाप्ति के बाद बड़ों के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लें।

शाम की पूजा के लिए थाली तैयार करें, फिर एक चौकी पर करवा माता की तस्वीर रखें और उसके बाद दीपक जला लें।

गौरा पार्वती, चौथ माता और संपूर्ण शिव परिवार की पूजा करें। करवा चौथ की कथा सुनें और मन ही मन अपने पति की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करें।

चंद्रमा निकलने के बाद चंद्रमा को जल अर्पित करें और छलनी की सतह पर जलता हुआ दीपक रखकर उसे देखें, फिर उसमें से अपने पति का चेहरा देखें।

चांद को देखकर अपने पति की लंबी उम्र की कामना करें, फिर पति के हाथों से पानी पीकर व्रत खोलें। घर के सभी बड़ों का आशीर्वाद लेने के बाद करवा को अपनी सास या किसी विवाहित महिला को दे दें और उनके पैर छुएं।

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