नयी दिल्ली, 12 अगस्त (भाषा) वरिष्ठ कांग्रेस नेता शशि थरूर ने सोमवार को बांग्लादेश की अंतरिम सरकार से सभी धर्मों के बांग्लादेशियों के हित में कानून एवं व्यवस्था बहाल करने के लिए तत्काल कदम उठाने का आग्रह किया। उन्होंने वहां भारतीय सांस्कृतिक केंद्र, मंदिरों और हिंदू घरों पर हुए हमलों को ‘‘शर्मनाक’’ करार दिया।
पूर्व विदेश राज्य मंत्री थरूर ने एक्स पर बांग्लादेश में 1971 के शहीद स्मारक परिसर की तस्वीरें साझा कीं और कहा कि मुजीबनगर में परिसर में भारत विरोधी उपद्रवियों द्वारा नष्ट की गई मूर्तियों की “ऐसी तस्वीरें देखना दुखद है”।
थरूर ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “यह भारतीय सांस्कृतिक केंद्र, मंदिरों और कई स्थानों पर हिंदू घरों पर अपमानजनक हमलों के बाद हुआ है, जबकि ऐसी खबरें भी आई हैं कि मुस्लिम नागरिक अन्य अल्पसंख्यकों के घरों और पूजा स्थलों की रक्षा कर रहे हैं।”
उन्होंने कहा, “कुछ आंदोलनकारियों का एजेंडा बिल्कुल स्पष्ट है। यह आवश्यक है कि मुहम्मद यूनुस और उनकी अंतरिम सरकार सभी बांग्लादेशियों और हर धर्म के लोगों के हित में कानून और व्यवस्था बहाल करने के लिए तत्काल कदम उठाए।”
1971 में मुजीबनगर में शहीद स्मारक परिसर में स्थित मूर्तियों को भारत विरोधी उपद्रवियों द्वारा नष्ट किए जाने की ऐसी तस्वीरें देखना दुखद है। यह भारतीय सांस्कृतिक केंद्र, मंदिरों और कई स्थानों पर हिंदू घरों पर किए गए अपमानजनक हमलों के बाद हुआ है, जबकि मुस्लिम नागरिकों के हमले की भी खबरें आई हैं… pic.twitter.com/FFrftoA81T
— शशि थरूर (@ShashiTharoor) 12 अगस्त, 2024
थरूर ने कहा कि भारत इस अशांत समय में बांग्लादेश के लोगों के साथ खड़ा है, लेकिन इस तरह की अराजकता को कभी भी माफ नहीं किया जा सकता।
बांग्लादेश के अंतरिम नेता यूनुस ने शनिवार को हिंसा प्रभावित देश में अल्पसंख्यक समुदायों पर हमलों की निंदा करते हुए इन्हें “जघन्य” करार दिया और युवाओं से सभी हिंदू, ईसाई और बौद्ध परिवारों को नुकसान से बचाने का आग्रह किया।
ढाका में हिंदू समुदाय के नेताओं के अनुसार, देश से भागने के बाद बांग्लादेश में हुई हिंसा में कई हिंदू मंदिरों, घरों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों में तोड़फोड़ की गई, महिलाओं पर हमला किया गया और शेख हसीना की अवामी लीग पार्टी से जुड़े कम से कम दो हिंदू नेताओं की हत्या कर दी गई।
पिछले सप्ताह हसीना सरकार के पतन के बाद देश भर में भड़की हिंसा की घटनाओं में बांग्लादेश में 230 से अधिक लोग मारे गए, जिससे मध्य जुलाई में आरक्षण विरोधी प्रदर्शनों के शुरू होने के बाद से मरने वालों की संख्या 560 हो गई।
(यह रिपोर्ट ऑटो-जेनरेटेड सिंडिकेट वायर फीड के हिस्से के रूप में प्रकाशित की गई है। हेडलाइन के अलावा, एबीपी लाइव द्वारा कॉपी में कोई संपादन नहीं किया गया है।)