आईएमएफ की प्रथम उप प्रबंध निदेशक गीता गोपीनाथ ने शनिवार को कहा कि भारत रोजगार सृजन के मामले में जी-20 देशों में पिछड़ रहा है और जनसंख्या वृद्धि को देखते हुए देश को 2030 तक 14.8 करोड़ अतिरिक्त रोजगार सृजित करने की जरूरत है। दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में डायमंड जुबली कार्यक्रम में बोलते हुए गोपीनाथ ने कहा कि 2010 से शुरू होने वाले दशक में भारत की औसत वृद्धि दर 6.6 प्रतिशत रही, लेकिन रोजगार दर 2 प्रतिशत से कम रही।
‘भारत को बुनियादी सुधारों की आवश्यकता है’: गोपीनाथ
उन्होंने कहा, “यदि आप जनसंख्या वृद्धि के संदर्भ में भारत के अनुमानों को देखें, तो भारत को अब से लेकर 2030 के बीच कुल मिलाकर 60 मिलियन से 148 मिलियन अतिरिक्त नौकरियाँ पैदा करनी होंगी। हम पहले से ही 2024 में हैं, इसलिए कम समय में हमें बहुत सारी नौकरियाँ पैदा करनी होंगी।” आवश्यक कदमों के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि भारत को भूमि सुधार और श्रम संहिताओं के कार्यान्वयन सहित बुनियादी सुधारों की आवश्यकता होगी।
‘निजी निवेश बढ़ाने की जरूरत’: गोपीनाथ
उन्होंने निजी निवेश बढ़ाने की बात करते हुए कहा कि इसे बढ़ाना जरूरी है क्योंकि यह जीडीपी में 7 फीसदी की वृद्धि के अनुरूप नहीं है। हालांकि, उन्होंने कहा कि सार्वजनिक निवेश अच्छा चल रहा है लेकिन निजी निवेश में सुधार करना होगा।
गोपीनाथ ने शिक्षा प्रणाली में सुधार का आह्वान किया
उन्होंने भारतीय शिक्षा प्रणाली में सुधार की आवश्यकता पर भी जोर दिया ताकि कार्यबल के कौशल में सुधार हो सके। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि कारोबार को और आसान बनाने, नियामक माहौल में सुधार करने और कर आधार को व्यापक बनाने की आवश्यकता है।
(पीटीआई इनपुट्स के साथ)
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