भारत 57 प्रतिशत खाद्य तेल आयात करता है, फिर भी सोयाबीन उत्पादकों को उचित मूल्य नहीं मिलता

भारत 57 प्रतिशत खाद्य तेल आयात करता है, फिर भी सोयाबीन उत्पादकों को उचित मूल्य नहीं मिलता

भारत अपनी खाद्य तेल की करीब 57 फीसदी जरूरतें आयात से पूरी करता है। हर साल खाद्य तेलों के आयात पर करीब 20.56 अरब डॉलर खर्च होते हैं। वहीं दूसरी तरफ देश में सोयाबीन की खेती करने वाले किसानों को उचित दाम नहीं मिल पा रहे हैं।

भारत अपनी खाद्य तेल की करीब 57 फीसदी जरूरतें आयात से पूरी करता है। हर साल खाद्य तेलों के आयात पर करीब 20.56 अरब डॉलर खर्च होते हैं। वहीं दूसरी तरफ देश में सोयाबीन की खेती करने वाले किसानों को उचित दाम नहीं मिल पा रहे हैं।

केंद्र सरकार ने सोयाबीन का न्यूनतम समर्थन मूल्य 4600 रुपए प्रति क्विंटल तय किया है, लेकिन सोयाबीन उत्पादक मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान में सोयाबीन के दाम एमएसपी से नीचे हैं और किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है।

सरकारी पोर्टल एगमार्केट के अनुसार, इस महीने मध्य प्रदेश की कृषि मंडियों में सोयाबीन का औसत भाव 4,385 रुपये प्रति क्विंटल रहा है, जो एमएसपी से नीचे और पिछले साल से 14.61 फीसदी कम है। यहां तक ​​कि सोयाबीन के प्रमुख उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में भी सोयाबीन का भाव पिछले साल के मुकाबले 14.15 फीसदी की गिरावट के साथ एमएसपी से नीचे बना हुआ है।

यह इस महीने दोनों राज्यों की मंडियों का औसत भाव है। दरअसल, कई मंडियों में सोयाबीन का न्यूनतम भाव 3000-3500 रुपये तक गिर गया है, जबकि दो साल पहले सोयाबीन का भाव 10,000 रुपये प्रति क्विंटल से ऊपर चला गया था।

अच्छे दाम मिलने के बाद किसानों का रुझान सोयाबीन की ओर बढ़ा, लेकिन इस साल फिर सोयाबीन किसानों के लिए घाटे का सौदा साबित हो रहा है।

महाराष्ट्र में शेतकारी संगठन के नेता अनिल घनवत ने बताया ग्रामीण आवाज़ यह लगातार तीसरा साल है जब किसानों को सोयाबीन का दाम नहीं मिल रहा है। एक तरफ सरकार तिलहन उत्पादन बढ़ाने की बात करती है, वहीं सस्ते खाद्य तेलों के आयात के कारण देश के तिलहन किसानों को सरकार द्वारा घोषित एमएसपी भी नहीं मिल पा रहा है।

मध्य प्रदेश के किसान नेता राम इनानिया कहते हैं कि अच्छी क्वालिटी की सोयाबीन की कीमत बमुश्किल 4000-4100 रुपए प्रति क्विंटल है। कई जगहों पर तो इससे भी कम रेट हैं। किसानों को 4600 रुपए एमएसपी के मुकाबले 500-700 रुपए प्रति क्विंटल का घाटा हो रहा है। एमएसपी की कानूनी गारंटी होनी चाहिए, ताकि उपज के दाम एमएसपी से नीचे न जाएं।

इस बार खराब मौसम के कारण सोयाबीन खराब हो गया। कई किसानों ने सोयाबीन नहीं बेची और फसल कटने के बाद दाम बढ़ने का इंतजार करते हुए स्टॉक में रख लिया।

होली, रमजान और आगामी शादी-ब्याह के सीजन को देखते हुए मार्च में सोयाबीन के दाम बढ़ने की उम्मीद थी। लेकिन अब भी सोयाबीन के दाम किसानों की उम्मीद के मुताबिक नहीं बढ़े हैं। पिछले फरवरी में मध्य प्रदेश में सोयाबीन का औसत भाव 4300 रुपए प्रति क्विंटल था, जबकि मार्च में मामूली बढ़त के साथ 4385 रुपए है।

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