विपक्षी दल इंडिया ब्लॉक के सांसदों ने स्वास्थ्य और जीवन बीमा पर 18 प्रतिशत वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लगाने के विरोध में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया।
सांसद संसद भवन के मकर द्वार के बाहर पोस्टर लेकर खड़े हुए और स्वास्थ्य बीमा तथा जीवन बीमा पर जीएसटी वापस लेने की मांग करते हुए नारे लगाए।
झारखंड मुक्ति मोर्चा सांसद महुआ माझी ने चिंता जताते हुए कहा कि स्वास्थ्य क्षेत्र पर लगाया गया जीएसटी सबसे अधिक मध्यम वर्ग को प्रभावित करेगा।
उन्होंने एएनआई से बात करते हुए कहा, “मोदी सरकार बिना सोचे-समझे कुछ भी लागू कर देती है… अगर स्वास्थ्य क्षेत्र पर 18% जीएसटी लगाया जाता है, तो मध्यम वर्ग इससे सबसे ज्यादा प्रभावित होगा… यह देश के साथ बहुत बड़ा अन्याय है…”
#घड़ी | दिल्ली: इंडिया एलायंस के नेताओं ने स्वास्थ्य बीमा और जीवन बीमा पर जीएसटी वापस लेने की मांग को लेकर संसद के मकर द्वार के बाहर केंद्र सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। pic.twitter.com/4ysSLvABNt
— एएनआई (@ANI) 6 अगस्त, 2024
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने इस बात पर जोर दिया कि जीवन बीमा जैसी आवश्यक चीज पर जीएसटी नहीं लगाया जा सकता।
थरूर ने कहा, “सरकार ने 2047 तक सभी के लिए जीवन बीमा और स्वास्थ्य बीमा की नीति की घोषणा की है और अब वे इस तरह से कर लगा रहे हैं कि ऐसा होने की कोई संभावना नहीं है।”
तिरुवनंतपुरम के सांसद ने कहा, “स्वास्थ्य के क्षेत्र में हमारी जेब पर पहले से ही सबसे अधिक खर्च होता है और अब आप 18% जीएसटी भी चाहते हैं, जो लोगों के लिए उचित नहीं है।” उन्होंने कहा कि केरल को राज्य में एक एम्स की भी आवश्यकता है, जिसका वादा 2014 से किया जा रहा है।
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एक अन्य कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने टिप्पणी की कि जीएसटी लगाना उस व्यक्ति के संघर्ष को और बढ़ाने जैसा है जो पहले से ही बीमार है या दुर्घटना का शिकार हो चुका है।
उन्होंने कहा, ‘‘एक संघर्षरत व्यक्ति को इस तरह लूटना गलत है…।’’ उन्होंने कहा कि केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी इस फैसले को वापस लेने के संबंध में पत्र लिखा है।