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एक उच्च स्तरीय वार्ता में, भारत और ऑस्ट्रेलिया ने कृषि तकनीक, डिजिटल खेती और व्यापार पर ध्यान केंद्रित करते हुए कृषि सहयोग को मजबूत किया। प्रमुख प्राथमिकताओं में फसल विविधीकरण, स्टार्टअप को सशक्त बनाना और तिलहन और दालों में आत्मनिर्भरता हासिल करना शामिल है।
कृषि भवन में कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के सचिव डॉ. देवेश चतुर्वेदी के साथ ऑस्ट्रेलियाई उच्चायुक्त फिलिप ग्रीन।
ऑस्ट्रेलियाई उच्चायुक्त फिलिप ग्रीन ने कृषि क्षेत्र में द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए कल 14 नवंबर, 2024 को कृषि भवन में कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के सचिव डॉ. देवेश चतुर्वेदी से मुलाकात की। चर्चा कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में सहयोगात्मक अवसरों की खोज पर केंद्रित थी, जिससे दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ाने का मार्ग प्रशस्त हो सके।
डॉ.चतुर्वेदी ने कृषि क्षेत्र में साझा लक्ष्यों पर प्रकाश डालते हुए भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच स्थायी साझेदारी पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “भारत खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने, किसानों की आय बढ़ाने और पोषण संबंधी परिणामों में सुधार करने के लिए प्रतिबद्ध है।” डॉ.चतुर्वेदी द्वारा उल्लिखित प्रमुख पहलों में फसल विविधीकरण, निर्यात को बढ़ावा देना, तिलहन और दालों में आत्मनिर्भरता हासिल करना और किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) को सशक्त बनाना शामिल है।
उन्होंने सटीक खेती, डिजिटल कृषि मिशन और मशीनीकृत छोटे पैमाने की खेती को भारत के कृषि आधुनिकीकरण के महत्वपूर्ण घटकों के रूप में उद्धृत करते हुए प्रौद्योगिकी की परिवर्तनकारी भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि स्टार्टअप इस क्षेत्र में नवाचार और बदलाव लाने में तेजी से महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
उच्चायुक्त फिलिप ग्रीन ने कृषि संबंधों को मजबूत करने के लिए ऑस्ट्रेलिया की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने साझा उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए व्यापार संबंधों को बढ़ाने के महत्व पर ध्यान देते हुए कृषि-तकनीक और डिजिटल कृषि को आपसी सहयोग के संभावित क्षेत्रों के रूप में पहचाना। ग्रीन ने टिप्पणी की, “हमारे देशों के बीच कृषि सहयोग के अवसर बहुत अधिक हैं, और निरंतर जुड़ाव से नए व्यापार और नवाचार के रास्ते खोलने में मदद मिलेगी।”
दोनों पक्ष बागवानी, कृषि-तकनीक, डिजिटल खेती और कृषि मशीनरी जैसे क्षेत्रों में सहयोग को आगे बढ़ाने पर सहमत हुए। संवाद में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) और विदेश मंत्रालय के प्रतिनिधियों की भी भागीदारी देखी गई, जिनकी अंतर्दृष्टि ने चर्चा को समृद्ध बनाया।
यह सहयोग न केवल आर्थिक विकास बल्कि किसानों और उपभोक्ताओं को समान रूप से लाभ पहुंचाने वाली टिकाऊ प्रथाएं प्रदान करने का वादा करता है।
पहली बार प्रकाशित: 15 नवंबर 2024, 12:19 IST
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