आईआईटी कानपुर ने ऐप-आधारित मृदा परीक्षण उपकरण विकसित किया

आईआईटी कानपुर ने ऐप-आधारित मृदा परीक्षण उपकरण विकसित किया

आईआईटी कानपुर ने मोबाइल ऐप आधारित मृदा परीक्षण उपकरण विकसित किया है, जो जानकारी के अभाव में उर्वरकों की अधिक मात्रा के चलन को रोकने में संभावित रूप से मदद करेगा। 90 सेकंड में मिट्टी के स्वास्थ्य का पता लगाने वाला यह त्वरित मृदा परीक्षण उपकरण किसानों को उर्वरकों की अनुशंसित खुराक के साथ-साथ मृदा स्वास्थ्य रिपोर्ट प्राप्त करने में सहायता करेगा।

लखनऊ

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), कानपुर ने एक मोबाइल ऐप आधारित मृदा परीक्षण उपकरण विकसित किया है, जो जानकारी के अभाव में उर्वरक की अधिक मात्रा के प्रयोग की प्रवृत्ति को रोकने में संभावित रूप से सहायक होगा।

तीव्र मृदा परीक्षण उपकरण, जो 90 सेकंड में मृदा स्वास्थ्य का पता लगा सकता है, किसानों को उर्वरकों की अनुशंसित खुराक के साथ मृदा स्वास्थ्य रिपोर्ट प्राप्त करने में सहायता करेगा।

पोर्टेबल और वायरलेस मृदा परीक्षक को मैक्रोन्यूट्रिएंट्स का पता लगाने के लिए केवल 5 ग्राम सूखी मिट्टी की आवश्यकता होती है। 5 सेमी लंबे बेलनाकार उपकरण में मिट्टी डालने के बाद, यह ब्लूटूथ के माध्यम से मोबाइल फोन से जुड़ जाता है। परिणाम स्क्रीन पर मृदा स्वास्थ्य रिपोर्ट के रूप में दिखाई देते हैं, जिसे भू परीक्षक क्लाउड सेवा पर देखा जा सकता है।

यह उपकरण मृदा के छह महत्वपूर्ण मापदंडों का पता लगा सकता है, जिनमें नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटेशियम, कार्बनिक कार्बन, मिट्टी की मात्रा और धनायन विनिमय क्षमता (सीईसी) शामिल हैं।

वाणिज्यिक उत्पादन के लिए समझौते पर हस्ताक्षर के साथ अब यह तकनीक एग्रोएनएक्सटी सर्विसेज नामक एक कृषि प्रौद्योगिकी कंपनी को हस्तांतरित कर दी गई है।

अपनी तरह का पहला कृषि-केंद्रित नवाचार, निकटवर्ती इन्फ्रारेड स्पेक्ट्रोस्कोपी प्रौद्योगिकी पर आधारित है, जो एक एम्बेडेड मोबाइल ऐप के साथ स्मार्टफोन पर वास्तविक समय की मृदा विश्लेषण रिपोर्ट प्रदान करता है।

ऐप में स्थानीय भाषाओं में उपलब्ध एक उपयोगकर्ता-अनुकूल इंटरफ़ेस शामिल है, जिसका उपयोग किसान आसानी से कर सकते हैं। यह डिवाइस 100,000 मृदा परीक्षण नमूनों तक का परीक्षण कर सकती है।

आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रोफेसर अभय करंदीकर ने 13 दिसंबर को कहा, “किसानों को मिट्टी की जांच करवाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। मैं अपनी टीम द्वारा एक ऐसा उपकरण विकसित करने पर बहुत खुश हूं, जिससे किसानों को कम समय में मिट्टी की सेहत का आकलन करने में मदद मिलेगी। यह प्रौद्योगिकी आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में एक और कदम है।”

उत्पाद विकास टीम में केमिकल इंजीनियरिंग विभाग से जयंत कुमार सिंह, पल्लव प्रिंस, अशर अहमद, यशस्वी खेमानी और आमिर खान शामिल थे।

Exit mobile version