IoT आधारित स्मार्ट कृषि में किसान सेंसर की मदद से आसानी से प्रकाश, तापमान, मिट्टी की नमी, फसल की सेहत आदि के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। वे खेती में IoT का उपयोग करके अपनी आय में उल्लेखनीय वृद्धि कर सकते हैं।
कृषि के सामने नई चुनौती यह है कि खेती के लिए सीमित भूमि उपलब्ध होने के बावजूद दुनिया की लगातार बढ़ती आबादी को पर्याप्त भोजन कैसे उपलब्ध कराया जाए। इस चुनौती से निपटने के लिए कृषि में तकनीक का अधिकतम उपयोग करने के अलावा कोई रास्ता नहीं है। इसके लिए इस्तेमाल की जाने वाली अत्याधुनिक तकनीकों में से एक है इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT)। कृषि में स्मार्ट तकनीक के इस्तेमाल से कई स्तरों पर बड़े बदलाव आ सकते हैं। रूरल वॉयस के साथ चर्चा में RNZ इंटरनेशनल के पूर्व ग्लोबल हेड और मशीन लर्निंग (ML) विशेषज्ञ डॉ. धर्मेश वर्मा ने IoT के इस्तेमाल, इसके फायदे और स्मार्ट कृषि के बारे में जानकारी साझा की। आप ऊपर दिए गए वीडियो लिंक पर क्लिक करके शो देख सकते हैं।
डॉ. वर्मा कहते हैं कि IoT तकनीक आधारित स्मार्ट खेती से उत्पादकों और किसानों की परेशानियाँ कम होती हैं। IoT आधारित स्मार्ट खेती में किसान सेंसर की मदद से आसानी से प्रकाश, तापमान, मिट्टी की नमी, फसल की सेहत आदि की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। उनका कहना है कि खेती में IoT का इस्तेमाल करके किसान अपनी आय में उल्लेखनीय वृद्धि कर सकते हैं।
डॉ. वर्मा कहते हैं कि अगर सही जानकारी समय पर मिल जाए तो किसान बहुत आसानी से चीजों को मैनेज कर सकते हैं और बेहतर फसल ले सकते हैं। अगर फसल के खेत में खड़े होने के दौरान मौसम बदल रहा है तो समय रहते इसकी जानकारी मिल जाने से किसानों को मौसम के बदलाव के हिसाब से उचित कदम उठाने में मदद मिलती है। अगर मौसम के कारण फसल खराब होने का डर है तो समय रहते कदम उठाकर नुकसान को टाला जा सकता है।
अगर पानी की कमी के कारण पौधे सूखने की कगार पर हैं, तो किसानों को पहले से पता चल जाए तो वे समय पर सिंचाई कर सकते हैं। इसके लिए खेतों में सेंसर लगाए गए हैं। डॉ. वर्मा कहते हैं कि सेंसर मिट्टी की नमी, मिट्टी का तापमान, पत्तियों की नमी आदि के बारे में डेटा एकत्र करते हैं। ये डेटा इतने बड़े होते हैं कि इन्हें क्लाउड में स्टोर कर दिया जाता है। फिर एल्गोरिदम की मदद से डेटा का विश्लेषण किया जाता है और इससे वास्तविक स्थिति के बारे में जानकारी मिलती है। सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) के माध्यम से यह जानकारी किसानों तक पहुंचाई जाती है। इस जानकारी के आधार पर किसानों को सिंचाई का समय, खाद की सही मात्रा आदि के बारे में पता चलता है।
ग्रेटर नोएडा के युवा किसान आदित्य भल्ला हाइड्रोपोनिक खेती में IoT का इस्तेमाल करते हैं। वे कहते हैं कि जब उन्होंने 2018 में हाइड्रोपोनिक खेती शुरू की थी, तो उनका पहला लक्ष्य बोई गई फसल की पैदावार बढ़ाना था। इसके लिए उन्होंने IoT का इस्तेमाल किया। वे कहते हैं, “IoT हमें ऐसे डेटा उपलब्ध कराता है, जो फसल प्रबंधन में बहुत मदद करते हैं।” वे आगे कहते हैं, “इससे सबसे ज़्यादा पानी की बचत होती है। हम सिंचाई के लिए लगभग 40 प्रतिशत पानी बचा रहे हैं।” वे कहते हैं कि IoT बुवाई से लेकर कटाई तक फसल प्रबंधन में बहुत मदद करता है। इससे एक साथ कई किसानों को मदद मिल सकती है।
विभिन्न IoT तकनीकों का उपयोग करके आवश्यक जानकारी एकत्र की जा सकती है। आपको कई मुद्दों पर जानकारी मिल सकती है – कौन सी फसल बोनी है, किस समय, कितनी मात्रा में, कौन सा उर्वरक इस्तेमाल करना है, किस बीमारी के लिए कौन सा कीटनाशक इस्तेमाल करना है और कब, इत्यादि। सेंसर की मदद से सिंचाई प्रणाली को स्वचालित किया जा रहा है। किसान कहीं से भी अपने खेतों पर नज़र रख सकते हैं। उपलब्ध डेटा के आधार पर, वे मैन्युअल सिंचाई और स्वचालित विकल्पों में से भी चुन सकते हैं। इसके अलावा, IoT का उपयोग कंप्यूटर विज़न और AI के आधार पर अंतरराष्ट्रीय गुणवत्ता मापदंडों के अनुसार फलों और सब्जियों को वर्गीकृत करने के लिए किया जाता है। इस प्रकार, IoT कृषि क्षेत्र में एक बड़ी भूमिका निभा सकता है।