नई दिल्ली: यदि आप सोचते हैं कि साक्षरता ने लोगों को विकृत मानसिकता से मुक्त कर दिया है, तो ये आंकड़े कार्यस्थलों पर महिलाओं की सुरक्षा के बारे में एक घिनौनी कहानी बयां करते हैं।
आधिकारिक आंकड़ों से पता चला है कि केरल और हिमाचल प्रदेश कामकाजी महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित स्थानों में से हैं।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, दोनों राज्यों में महिला श्रमिकों के लिए कार्यस्थल पर दुर्व्यवहार और उत्पीड़न के उच्च स्तर दर्ज किए गए हैं।
2022 में हिमाचल प्रदेश में उत्पीड़न के सबसे अधिक 97 मामले दर्ज किए गए, जबकि केरल में 83, महाराष्ट्र में 46 और कर्नाटक में 43 मामले दर्ज किए गए।
कार्यस्थलों पर उत्पीड़न के मामले में मध्य प्रदेश सबसे कम मामलों में से एक है। महिलाओं के खिलाफ अपराध के लिए बदनाम राजस्थान में महिला कर्मचारियों के खिलाफ उत्पीड़न के 12 मामले दर्ज किए गए।
उत्तर प्रदेश में छेड़छाड़ सहित उत्पीड़न के सर्वाधिक 4,533 मामले दर्ज किए गए, लेकिन कार्यस्थल पर ऐसे मामले मात्र 6 दर्ज किए गए।
चौंकाने वाले आंकड़े सिर्फ़ पिछले साल तक ही सीमित नहीं हैं। 2021 में भी कार्यस्थलों पर उत्पीड़न के मामले में हिमाचल प्रदेश सबसे ऊपर रहा। अकेले यहां 100 से ज़्यादा मामले दर्ज किए गए, जबकि केरल भी 45 मामलों के साथ दूसरे नंबर पर रहा। महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्यों में भी संख्या ज़्यादा रही, लेकिन इन दोनों राज्यों की तुलना में यह काफ़ी कम है। महाराष्ट्र में कार्यस्थल पर उत्पीड़न के 59 मामले दर्ज किए गए, जबकि उत्तर प्रदेश में 17 मामले दर्ज किए गए।
दिलचस्प बात यह है कि 14 राज्य ऐसे हैं, जिन्होंने वर्ष 2022 में महिलाओं के लिए कार्यस्थल पर उत्पीड़न का एक भी मामला दर्ज नहीं किया है। ये राज्य हैं बिहार, झारखंड, ओडिशा, उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश आदि।
कुछ अन्य राज्यों में कार्यस्थल पर महिलाओं के उत्पीड़न के मामले एकल अंकों में दर्ज किए गए। इनमें हरियाणा (19), छत्तीसगढ़ (3), पंजाब (4), गुजरात (5) शामिल हैं।
यद्यपि, भारत में अभी भी पुरुष और महिला कामकाजी पेशेवरों का एक स्वस्थ मिश्रण हासिल करना बाकी है, लेकिन कार्यस्थलों पर महिलाओं के खिलाफ दुर्व्यवहार और अपराध की घटनाएं कार्यस्थल पर बदलती गतिशीलता को प्रभावित करेंगी।