सरकार नवीन कृषि तकनीकों को अपनाने को प्रोत्साहित कर रही है

सरकार नवीन कृषि तकनीकों को अपनाने को प्रोत्साहित कर रही है

किसानों द्वारा आधुनिक और स्मार्ट कृषि प्रौद्योगिकियों को अपनाना विभिन्न कारकों पर निर्भर करता है, जैसे सामाजिक-आर्थिक स्थिति, भौगोलिक स्थिति, उगाई जाने वाली फसलें, उपलब्ध सिंचाई सुविधाएं आदि।

सरकार प्रति बूंद अधिक फसल (पीडीएमसी) की केन्द्र प्रायोजित योजना को क्रियान्वित कर रही है, जो ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणालियों जैसे सूक्ष्म सिंचाई के माध्यम से खेत स्तर पर जल उपयोग दक्षता बढ़ाने पर केंद्रित है।

सूक्ष्म सिंचाई से जल की बचत के साथ-साथ उर्वरक के उपयोग में कमी, श्रम व्यय, अन्य इनपुट लागत में कमी तथा किसानों की समग्र आय में वृद्धि में मदद मिलती है।

योजना के हालिया मूल्यांकन अध्ययनों ने दोहराया है कि सूक्ष्म सिंचाई राष्ट्रीय प्राथमिकताओं को प्राप्त करने में प्रासंगिक है, जैसे कि खेत पर जल उपयोग दक्षता में सुधार, फसल उत्पादकता में वृद्धि, कृषि/बागवानी उत्पादों की गुणवत्ता में सुधार आदि।

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रणालियों द्वारा विकसित नवीन कृषि तकनीकों को अपनाने में किसानों को सहायता प्रदान करने के लिए विभिन्न राज्यों में कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) योजना का क्रियान्वयन कर रही है।

केवीके की गतिविधियों में विभिन्न कृषि प्रणालियों के अंतर्गत प्रौद्योगिकी की स्थान विशिष्टता की पहचान करने के लिए खेत पर परीक्षण; किसानों के खेतों पर उन्नत कृषि प्रौद्योगिकियों की उत्पादन क्षमता स्थापित करने के लिए अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन; ज्ञान और कौशल उन्नयन के लिए किसानों की क्षमता विकास; तथा किसानों के लिए उपलब्धता हेतु गुणवत्ता वाले बीज, रोपण सामग्री और अन्य प्रौद्योगिकी इनपुट का उत्पादन शामिल है।

किसानों के बीच कृषि नवाचारों और प्रौद्योगिकियों के बारे में जागरूकता विकसित करने के लिए, केवीके द्वारा बड़ी संख्या में विस्तार गतिविधियां शुरू की जाती हैं।

किसानों द्वारा आधुनिक और स्मार्ट कृषि प्रौद्योगिकियों को अपनाना विभिन्न कारकों पर निर्भर करता है, जैसे सामाजिक-आर्थिक स्थिति, भौगोलिक स्थिति, उगाई जाने वाली फसलें, उपलब्ध सिंचाई सुविधाएं आदि।

हालाँकि, भारत सरकार पूरे देश में कृषि को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकारों को समर्थन और सुविधा प्रदान करती है, तथा कृषि क्षेत्र में आधुनिक और स्मार्ट कृषि प्रौद्योगिकियों को शामिल करती है।

कृषि मशीनीकरण उप-मिशन के तहत किसान ड्रोन सहित आधुनिक मशीनों के उपयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है।

एनईजीपीए कार्यक्रम के तहत, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मशीन लर्निंग (एआई/एमएल), इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी), ब्लॉक चेन आदि जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके डिजिटल कृषि परियोजनाओं के लिए राज्य सरकारों को वित्त पोषण दिया जाता है।

राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई-रफ़्तार) के अंतर्गत 2018-19 में “नवाचार और कृषि-उद्यमिता विकास” नामक एक घटक शुरू किया गया था, जिसका उद्देश्य वित्तीय सहायता प्रदान करके और इनक्यूबेशन पारिस्थितिकी तंत्र को पोषित करके नवाचार और कृषि-उद्यमिता को बढ़ावा देना है।

इस कार्यक्रम के तहत, स्टार्ट-अप को कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में आने वाली चुनौतियों का समाधान करने के लिए नवीन तकनीकों का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। राज्यों को उनके प्रस्तावों के आधार पर धनराशि जारी की जाती है।

एक अधिकारी ने बताया कि इसके अलावा, वर्ष 2023-24 के बजट घोषणा के अनुसार, कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने कृषि के लिए एक खुले स्रोत, खुले मानक और अंतर-संचालन योग्य सार्वजनिक वस्तु के रूप में डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (डीपीआई) के निर्माण के लिए विभिन्न पहल की हैं।

इन पहलों का उद्देश्य विभिन्न डिजिटल पहलों के माध्यम से किसान-केंद्रित समाधानों के लिए देश भर के किसानों को प्रौद्योगिकी और सूचना तक पहुंच प्रदान करना है।

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