एमपॉक्स प्रकोप: प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. पी.के. मिश्रा ने रविवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में एमपॉक्स के लिए देश की तैयारियों और संबंधित सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों की समीक्षा के लिए एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा इसे अंतरराष्ट्रीय चिंता का सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किए जाने के बाद से प्रधानमंत्री स्थिति पर करीबी नजर रख रहे हैं।
आधिकारिक बयान के अनुसार, उच्च स्तरीय बैठक के दौरान बताया गया कि देश में फिलहाल एमपॉक्स का कोई मामला नहीं है। मौजूदा आकलन के आधार पर, निरंतर संक्रमण के साथ बड़े पैमाने पर प्रकोप का जोखिम कम माना जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अफ्रीका के कई हिस्सों में इसकी व्यापकता और प्रसार को देखते हुए 14 अगस्त को एमपॉक्स को पुनः अंतर्राष्ट्रीय चिंता का सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल (पीएचईआईसी) घोषित किया है।
बैठक में प्रमुख सचिव को क्या जानकारी दी गई?
प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव को बताया गया कि एमपॉक्स संक्रमण आम तौर पर स्व-सीमित होता है, जो 2-4 सप्ताह तक रहता है। एमपॉक्स के रोगी आमतौर पर सहायक चिकित्सा देखभाल और प्रबंधन से ठीक हो जाते हैं। एमपॉक्स का संक्रमण मुख्य रूप से संक्रमित व्यक्ति के साथ लंबे समय तक और निकट संपर्क के माध्यम से होता है। यह मुख्य रूप से यौन संपर्क, रोगी के शरीर या घाव के तरल पदार्थ के साथ सीधे संपर्क, या संक्रमित व्यक्ति के दूषित कपड़ों या लिनन के माध्यम से होता है।
राज्यों और प्रवेश बंदरगाहों पर एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (आईडीएसपी) की इकाइयों सहित राज्य स्तरीय स्वास्थ्य प्राधिकरणों को इस संबंध में जागरूक किया गया है।
पिछले एक सप्ताह में उठाए गए कदम
स्वास्थ्य सचिव ने बताया कि पिछले एक सप्ताह में निम्नलिखित कदम उठाए जा चुके हैं:
- भारत के लिए जोखिम का आकलन करने के लिए राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) द्वारा 12 अगस्त, 2024 को विशेषज्ञों की एक बैठक बुलाई गई थी।
- एनसीडीसी द्वारा एमपॉक्स पर पहले जारी की गई संचारी रोग (सीडी) चेतावनी को नवीनतम घटनाक्रमों को ध्यान में रखते हुए अद्यतन किया जा रहा है।
- अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डों (प्रवेश बंदरगाहों) पर स्वास्थ्य टीमों को संवेदनशील बनाने का कार्य किया गया है।
पीएमओ ने क्या सलाह दी?
प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव ने निर्देश दिया कि निगरानी बढ़ाई जाए और मामलों का शीघ्र पता लगाने के लिए प्रभावी उपाय किए जाएं। उन्होंने आगे निर्देश दिया कि जांच प्रयोगशालाओं के नेटवर्क को शीघ्र निदान के लिए तैयार किया जाना चाहिए। वर्तमान में 32 प्रयोगशालाएँ जांच के लिए सुसज्जित हैं।
मिश्रा ने निर्देश दिया कि बीमारी की रोकथाम और उपचार के लिए प्रोटोकॉल का बड़े पैमाने पर प्रचार-प्रसार किया जाना चाहिए। उन्होंने स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के बीच बीमारी के लक्षणों और संकेतों के बारे में जागरूकता अभियान चलाने और निगरानी प्रणाली को समय पर सूचना देने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
बैठक में नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी.के. पॉल, सचिव (स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण) अपूर्व चंद्रा, सचिव (स्वास्थ्य अनुसंधान) डॉ. राजीव बहल, सदस्य सचिव (राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण) कृष्ण एस. वत्स, सचिव (सूचना एवं प्रसारण) संजय जाजू, तथा मनोनीत गृह सचिव गोविंद मोहन सहित अन्य मंत्रालयों के अधिकारी उपस्थित थे।
(इनपुट: अनामिका गौर)
यह भी पढ़ें: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री नड्डा ने एमपॉक्स की स्थिति की समीक्षा की, भारत में बड़े पैमाने पर प्रकोप का खतरा फिलहाल कम
यह भी पढ़ें: पाकिस्तान में 2024 में नए एमपॉक्स वायरस के तीन मामले सामने आए, चीन आने वालों की जांच करेगा: रिपोर्ट