भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) से मिली जानकारी के अनुसार 15 मार्च तक उत्तर प्रदेश में 18 चीनी मिलों ने पेराई बंद कर दी है, जबकि पिछले साल इसी अवधि तक खदान चीनी मिलें बंद हो चुकी थीं। पिछले दो-तीन दिनों में यूपी की कई चीनी मिलों ने अपना पेराई सत्र समाप्त कर दिया है। इस साल मार्च के अंत तक अधिकांश चीनी मिलें बंद होने की संभावना है
इस साल गन्ने की पर्याप्त आपूर्ति न होने के कारण उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में चीनी मिलें जल्दी बंद होने लगी हैं। चीनी मिलों को पेराई जारी रखने के लिए गन्ना नहीं मिल पा रहा है, इसलिए चीनी मिलों को चालू रखना घाटे का सौदा बन गया है।
भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) से मिली जानकारी के अनुसार 15 मार्च तक उत्तर प्रदेश में 18 चीनी मिलों ने पेराई बंद कर दी है, जबकि पिछले साल इसी अवधि तक खदान चीनी मिलें बंद हो चुकी थीं। पिछले दो-तीन दिनों में यूपी की कई चीनी मिलों ने अपना पेराई सत्र समाप्त कर दिया है। इस साल मार्च के अंत तक अधिकांश चीनी मिलें बंद होने की संभावना है।
वहीं, महाराष्ट्र में पेराई सत्र लंबा खिंच सकता है। पिछले साल के मुकाबले इस साल वहां आधी से भी कम चीनी मिलों ने पेराई बंद की है। महाराष्ट्र में 18 मार्च तक 73 चीनी मिलों ने पेराई बंद कर दी है, जबकि पिछले सीजन में इस समय तक 148 चीनी मिलों ने पेराई बंद कर दी थी।
इस्मा के अनुसार, इस साल 15 मार्च तक देश में 371 चीनी मिलें चल रही थीं, जबकि पिछले साल इसी दिन तक 325 चीनी मिलें गन्ना पेराई कर रही थीं। इस समय देश में पिछले साल के मुकाबले ज्यादा चीनी मिलें गन्ना पेराई कर रही हैं, लेकिन देश के प्रमुख गन्ना उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में गन्ने की कमी के कारण चीनी मिलों का सीजन जल्दी खत्म हो रहा है।
अधिक चीनी मिलें, कम गन्ना
15 मार्च तक यूपी में 102 चीनी मिलें चल रही थीं, जबकि पिछले साल इस तारीख तक 108 चीनी मिलें पेराई कर रही थीं। इस साल प्रदेश में कुल 121 मिलें चल रही हैं, जबकि पिछले साल 117 मिलें पेराई कर चुकी थीं। इस तरह इस साल यूपी में कुल चीनी मिलों की संख्या ज़्यादा है, लेकिन गन्ना आपूर्ति की कमी के कारण पेराई सत्र मार्च में ही बंद होने लगा है।
अधिक चीनी मिलें चलने के बावजूद देश में चीनी उत्पादन में गिरावट आई है। इसकी वजह बारिश, बाढ़ और बीमारी का गन्ने की फसल पर असर है। इससे गन्ने का उत्पादन और रिकवरी प्रभावित हुई है। 15 मार्च तक देश का कुल चीनी उत्पादन 280.79 लाख टन रहा, जो पिछले साल इसी तारीख तक 282.60 लाख टन था। इस तरह चीनी उत्पादन में करीब दो लाख टन की कमी आई है।
बारिश, बाढ़ और बीमारी से गन्ना प्रभावित
बिजनौर जिले के कान्हा नंगला गांव के किसान राहुल सिंह कहते हैं कि इस साल पहले गन्ने पर अतिवृष्टि और बाढ़ का असर हुआ था। फिर फसल में कई तरह की बीमारियां लग गईं। बेहद सफल गन्ने की किस्म 0238 में रोग लग गया है, जिससे पैदावार कम हुई है। इस साल गुड़ और खांडसारी उद्योग ने किसानों को अच्छे दाम दिए, जिससे चीनी मिलों को कम गन्ना मिला।
इस साल गन्ने की आवक बढ़ाने के लिए चीनी मिलों को गांव-गांव जाकर किसानों से अपील करनी पड़ी। फरवरी के अंत तक कई चीनी मिलों में नो केन की स्थिति आ गई और मार्च के दूसरे हफ्ते में उन्हें काम बंद करना पड़ा। इस साल चीनी मिलों का पेराई लक्ष्य भी पूरा नहीं हो पाया है।
कई मिलों ने पेराई बंद कर दी
सहारनपुर जिले की टोडरपुर और बिड़वी चीनी मिलें इस साल 25 फरवरी को बंद हो गई थीं। अप्रैल तक चलने वाली गागलहेड़ी चीनी मिल इस बार 12 मार्च को बंद हो गई। सरसावा चीनी मिल का पेराई सत्र पिछले साल 13 मई तक चला था, जो 14 मार्च को खत्म हो गया।
उत्तराखंड की लक्सर चीनी मिल ने गन्ना कम मिलने के कारण 8 मार्च को मिल गेट पर मुफ्त गन्ना खरीद कर 13 मार्च को पेराई सत्र बंद करने का नोटिस जारी कर दिया था। मिल प्रबंधन का कहना है कि पिछले 15-20 दिनों से चीनी मिल को मांग के मुकाबले काफी कम गन्ना मिल रहा है। इसलिए ग्रामीण क्षेत्रों के तौल केंद्र बंद कर दिए गए थे।
उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले की पूरनपुर चीनी मिल पर्याप्त गन्ना आपूर्ति न होने के कारण 17 मई को बंद हो गई थी। बीसलपुर चीनी मिल ने 19 मार्च से पेराई बंद करने की घोषणा की है। मुरादाबाद की सहसपुर चीनी मिल का पेराई सत्र भी 19 मार्च को समाप्त हो जाएगा।