दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को सरकारी आशा किरण आश्रय गृह में हाल ही में हुई 14 मौतों से संबंधित याचिका पर सुनवाई की, जिसमें लगभग 980 मानसिक रूप से विकलांग व्यक्ति रहते हैं। मामले की संक्षिप्त सुनवाई के बाद उच्च न्यायालय ने टिप्पणी की कि ये मौतें एक “अजीब संयोग” लगती हैं, क्योंकि मरने वालों में से अधिकांश तपेदिक से पीड़ित थे।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) को आश्रय गृह में पानी की गुणवत्ता के साथ-साथ पानी और सीवर पाइपलाइनों की स्थिति का परीक्षण करने और इस पर एक रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया।
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उच्च न्यायालय ने समाज कल्याण सचिव को 6 अगस्त को व्यक्तिगत रूप से परिसर का दौरा करने और उच्च न्यायालय में इस संबंध में एक रिपोर्ट दाखिल करने का भी निर्देश दिया।
उच्च न्यायालय ने कहा कि इस मामले में उपचारात्मक उपाय आवश्यक हैं और यदि आश्रय गृह में भीड़भाड़ है तो अधिकारी वहां भीड़ कम करेंगे तथा कुछ लोगों को अन्य आश्रय गृह में स्थानांतरित करेंगे।
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जुलाई में दिल्ली के आशा किरण आश्रय गृह में एक बच्चे सहित 14 संवासिनियों की मृत्यु हो गई।
मौतों के बाद, दिल्ली उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की गई थी जिसमें मौतों की जांच की मांग की गई थी। उच्च न्यायालय ने आज मामले की सुनवाई की और शहर सरकार को निर्देश जारी किए। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई बुधवार (7 अगस्त) को तय की है।
वर्तमान में आश्रय गृह में लगभग 980 विकलांग व्यक्ति रह रहे हैं, जिनमें पुरुष, महिलाएं और बच्चे शामिल हैं। उच्च न्यायालय ने कहा कि यदि आशा किरण आश्रय गृह में भीड़भाड़ है, तो वहां रहने वालों को उचित स्थान पर स्थानांतरित किया जाना चाहिए।
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