नई दिल्ली: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उपराज्यपाल (एलजी) विनय कुमार सक्सेना को संसद द्वारा पारित किसी भी कानून के तहत किसी भी प्राधिकरण, बोर्ड, आयोग या वैधानिक निकाय के सदस्यों का गठन और नियुक्ति करने की शक्तियां सौंपी हैं, जो राष्ट्रीय राजधानी पर लागू होती हैं, गृह मंत्रालय ने कहा।
गृह मंत्रालय ने अधिसूचित किया है कि राष्ट्रपति ने दिल्ली के उपराज्यपाल को संसद द्वारा दिल्ली के लिए बनाए गए कानूनों के तहत किसी भी प्राधिकरण, बोर्ड, आयोग या वैधानिक निकाय के सदस्यों को गठित करने और नियुक्त करने की शक्ति सौंपी है। pic.twitter.com/0jricFKEHS
— प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (@PTI_News) 3 सितंबर, 2024
मंगलवार को गृह मंत्रालय द्वारा जारी राजपत्र अधिसूचना में कहा गया है, “दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र शासन अधिनियम, 1991 (1992 का 1) की धारा 45डी के साथ पठित संविधान के अनुच्छेद 239 के खंड (1) के अनुसरण में, राष्ट्रपति एतद्द्वारा निर्देश देते हैं कि दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के उपराज्यपाल, राष्ट्रपति के नियंत्रण के अधीन रहते हुए और अगले आदेश तक, उक्त अधिनियम की धारा 45डी के खंड (ए) के तहत राष्ट्रपति की शक्तियों का प्रयोग किसी भी प्राधिकरण, बोर्ड, आयोग या किसी भी वैधानिक निकाय के गठन के लिए करेंगे, चाहे उसे किसी भी नाम से पुकारा जाए, या ऐसे प्राधिकरण, बोर्ड, आयोग या किसी भी वैधानिक निकाय में किसी सरकारी अधिकारी या पदेन सदस्य की नियुक्ति के लिए करेंगे।
इससे केंद्र शासित प्रदेश में एलजी और सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी सरकार के बीच फिर से टकराव की संभावना है। इससे पहले सोमवार को राष्ट्रपति ने भारत के 23वें विधि आयोग के गठन को मंजूरी दी, जो 1 सितंबर 2024 से 31 अगस्त 2027 तक काम करेगा।
सोमवार को जारी अधिसूचना के अनुसार, आयोग में एक पूर्णकालिक अध्यक्ष, चार सदस्य तथा अतिरिक्त पदेन एवं अंशकालिक सदस्य होंगे।
आयोग की भूमिका भारतीय विधि व्यवस्था में सुधार के लिए कानूनी सुधारों की समीक्षा और सिफारिश करना होगी। अधिसूचना में कहा गया है कि राष्ट्रपति की मंजूरी से भारत के 23वें विधि आयोग के गठन को तीन साल के लिए 1 सितंबर 2024 से 31 अगस्त 2027 तक मंजूरी मिल गई है, जिसमें (i) एक पूर्णकालिक अध्यक्ष; (ii) चार पूर्णकालिक सदस्य (सदस्य-सचिव सहित); (iii) विधि मामलों के विभाग के सचिव पदेन सदस्य; (iv) विधायी विभाग के सचिव पदेन सदस्य; और (v) पांच से अधिक अंशकालिक सदस्य नहीं होंगे।