कोलकाता के एक सरकारी अस्पताल में प्रशिक्षु डॉक्टर के कथित बलात्कार और हत्या के विरोध में शनिवार (17 अगस्त) को राष्ट्रीय राजधानी में कई महिला चिकित्सकों ने मार्च निकाला। उन्होंने तख्तियां थाम रखी थीं, जिन पर लिखा था, “मैं अगली शिकार नहीं बनना चाहती।” डॉक्टरों और रेजिडेंट डॉक्टरों समेत सैकड़ों चिकित्सकों ने अपने सफेद एप्रन पर स्टेथोस्कोप पहनकर घटना के विरोध में अपने आंदोलन के छठे दिन लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज से अपना मार्च शुरू किया और स्वास्थ्य कर्मियों के खिलाफ हिंसा को रोकने के लिए एक केंद्रीय कानून जैसी अपनी मांगों पर जोर दिया।
कनॉट प्लेस पहुंचने पर उन्होंने लगभग 25 मिनट तक धरना दिया, जिसके बाद पुलिस ने बैरिकेड्स हटा दिए और उन्हें प्रदर्शन के अगले चरण – मोमबत्ती जुलूस – के लिए जंतर-मंतर की ओर बढ़ने की अनुमति दे दी।
केंद्र द्वारा संचालित एम्स, सफदरजंग अस्पताल और आरएमएल अस्पताल सहित शहर स्थित स्वास्थ्य सुविधाओं में ओपीडी और डायग्नोस्टिक्स जैसी गैर-आपातकालीन सेवाएं और वैकल्पिक सर्जरी सोमवार से प्रभावित हैं।
मरीजों की असुविधा तब और बढ़ गई जब सर गंगा राम, फोर्टिस और अपोलो जैसे निजी संस्थानों के कर्मचारी भी रविवार को विरोध प्रदर्शन में शामिल हो गए। शीर्ष चिकित्सक संगठन इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने गैर-आपातकालीन सेवाओं को 24 घंटे के लिए राष्ट्रव्यापी बंद करने का आह्वान किया था।
उत्तर प्रदेश के कानपुर से आए एक मरीज, जिसका यहां जीटीबी अस्पताल में अपॉइंटमेंट था, ने कहा, “मैं मंगलवार को अस्पताल आया था, लेकिन मुझे बताया गया कि डॉक्टर हड़ताल पर हैं। डॉक्टरों को काम बंद किए हुए पांच दिन से अधिक हो गए हैं। मैं वापस जा रहा हूं, क्योंकि इंतजार करने का कोई मतलब नहीं है।”
सरजीना, जो प्रसव के कुछ महीने बाद संक्रमण की चपेट में आ गई थी, जांच के लिए अस्पताल आई थी, लेकिन उसे बताया गया कि “केवल आपातकालीन रोगियों का ही इलाज किया जा रहा है”।
जंतर-मंतर पर डॉक्टरों ने मोमबत्ती मार्च निकाला और नारे लगाए, “हमें न्याय चाहिए”, “बलात्कारी को फांसी दो” और “हमें सुरक्षा चाहिए।” इससे पहले दिन में सफदरजंग और आरएमएल के डॉक्टरों ने काली पट्टी बांधकर मौन विरोध मार्च निकाला।
एम्स फैकल्टी एसोसिएशन (एफएआईएमएस) ने एम्स-दिल्ली निदेशक को भेजे पत्र में कहा, “जैसा कि आप जानते हैं, कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में एक रेजिडेंट डॉक्टर से जुड़ी जघन्य घटना के मद्देनजर हमारे संस्थान के रेजिडेंट हड़ताल पर हैं और प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टरों के लिए सुरक्षित माहौल सुनिश्चित करने के लिए ‘केंद्रीय सुरक्षा अधिनियम’ के तत्काल क्रियान्वयन की मांग कर रहे हैं।”
आईएमए ने शनिवार को अपनी मांगों के क्रियान्वयन के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हस्तक्षेप करने की मांग की। इसमें रेजिडेंट डॉक्टरों के कामकाज और रहने की स्थिति में व्यापक बदलाव, कार्यस्थलों पर स्वास्थ्य कर्मियों के खिलाफ हिंसा की जांच के लिए एक केंद्रीय कानून, अनिवार्य सुरक्षा अधिकारों के साथ अस्पतालों को सुरक्षित क्षेत्र घोषित करना, कोलकाता में पिछले सप्ताह हुई घटना की सावधानीपूर्वक और पेशेवर जांच तथा शोक संतप्त परिवार को उचित और सम्मानजनक मुआवजा शामिल है।
(पीटीआई इनपुट्स के साथ)
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