सीताराम येचुरी: सीपीआई(एम) के महासचिव और पूर्व राज्यसभा सांसद सीताराम येचुरी का 72 साल की उम्र में निधन हो गया। लंबी बीमारी के बाद गुरुवार को उनका निधन हो गया। दिल्ली के एम्स में येचुरी का गंभीर श्वसन पथ संक्रमण का इलाज चल रहा था। गहन चिकित्सा इकाई में चिकित्सा पेशेवरों का एक समूह उनकी देखभाल कर रहा था, जहां उन्हें श्वसन सहायता पर रखा गया था।
सीपीआई(एम) में सीताराम येचुरी का नेतृत्व और राजनीतिक यात्रा
सीताराम येचुरी ने 2015 में प्रकाश करात से सीपीआई(एम) के महासचिव का पद संभाला था। वे पार्टी के नेतृत्व में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति थे। येचुरी ने दिवंगत नेता हरकिशन सिंह सुरजीत से सीखा। सुरजीत ने राष्ट्रीय मोर्चा और संयुक्त मोर्चा सरकारों के दौरान गठबंधन शासन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। सीपीआई(एम) ने इन सरकारों को बाहर से समर्थन दिया था।
प्रमुख योगदान और राजनीतिक प्रभाव
सीताराम येचुरी ने अपने कार्यकाल के दौरान उल्लेखनीय योगदान दिया। जब वामपंथी दलों ने पहली यूपीए सरकार का समर्थन किया तो उन्होंने प्रमुख भूमिका निभाई। इस दौरान नीतिगत निर्णयों में उनका प्रभाव महसूस किया गया। भारत-अमेरिका परमाणु समझौते पर बातचीत में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी। इस समझौते के कारण आंतरिक मतभेदों के कारण माकपा ने यूपीए-1 सरकार से समर्थन वापस ले लिया।
सीताराम येचुरी के निधन पर राजनीतिक बिरादरी की प्रतिक्रिया
सीताराम येचुरी के निधन पर सभी राजनीतिक दलों के नेताओं ने शोक जताया है। राहुल गांधी, नितिन गडकरी और ममता बनर्जी उन शीर्ष नेताओं में शामिल हैं जिन्होंने अपना दुख व्यक्त किया है। कई लोगों ने येचुरी को श्रद्धांजलि दी है और भारतीय राजनीति में उनके योगदान को स्वीकार किया है।
सीताराम येचुरी जी मेरे मित्र थे।
हमारे देश की गहरी समझ रखने वाले भारतीय विचार के रक्षक।
मुझे हमारी लंबी चर्चाएं याद आएंगी। दुख की इस घड़ी में उनके परिवार, मित्रों और अनुयायियों के प्रति मेरी हार्दिक संवेदनाएं। pic.twitter.com/6GUuWdmHFj
– राहुल गांधी (@RahulGandhi) 12 सितंबर, 2024
सीताराम येचुरी जी के निधन से बहुत दुःखी हूँ। सार्वजनिक जीवन में उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा। इस कठिन समय में उनके परिवार और प्रियजनों के प्रति हार्दिक संवेदना। ओम शांति।
– नितिन गडकरी (@nitin_gadbari) 12 सितंबर, 2024
वरिष्ठ माकपा नेता एवं प्रतिष्ठित सांसद सीताराम येचुरी जी के निधन से अत्यंत दुःखी हूं।
उनकी बुद्धिमत्ता, अपनी पार्टी के रुख को बेहतरीन ढंग से व्यक्त करने की क्षमता और लोगों के मुद्दों के प्रति गहरी लगन के कारण सभी दलों में उनकी प्रशंसा की जाती थी। एक तेजतर्रार नेता… pic.twitter.com/8mYt1c8h4x
– राघव चड्ढा (@raghav_chadha) 12 सितंबर, 2024
मैं सीपीएम के वरिष्ठ नेता सीताराम येचुरी जी के दुखद निधन से बहुत दुखी हूँ। संसद में हमारे बीच कई वर्षों तक कार्य संबंध रहे। मैं उनके परिवार, सहकर्मियों और प्रशंसकों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करता हूँ। pic.twitter.com/s8QQAOqzEf
– किरेन रिजिजू (@KirenRijiju) 12 सितंबर, 2024
यह जानकर दुख हुआ कि श्री सीताराम येचुरी का निधन हो गया है। मैं उन्हें एक अनुभवी सांसद के रूप में जानता था और उनका निधन राष्ट्रीय राजनीति के लिए एक क्षति है।
मैं उनके परिवार, मित्रों और सहकर्मियों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूँ।
– ममता बनर्जी (@MamataOfficial) 12 सितंबर, 2024
आपातकाल के दौरान शीघ्र भागीदारी और गिरफ्तारी
येचुरी का राजनीतिक जीवन 1974 में स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) में शामिल होने से शुरू हुआ। अगले साल वे सीपीआई(एम) के सदस्य बन गए। इस दौरान उनकी सक्रियता के कारण आपातकाल के दौरान उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया। इस शुरुआती भागीदारी ने उनकी राजनीतिक मान्यताओं के प्रति उनकी दृढ़ प्रतिबद्धता को दर्शाया।
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