नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को ओल्ड राजिंदर नगर कोचिंग सेंटर के बेसमेंट के चार सह-मालिकों को 30 जनवरी तक अंतरिम जमानत दे दी, जहां जुलाई में तीन सिविल सेवा अभ्यर्थी डूब गए थे।
न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा ने चारों आरोपियों की जमानत याचिका पर फैसला सुनाते हुए कहा कि यह राहत सह-मालिकों द्वारा रेड क्रॉस के पास पांच करोड़ रुपये जमा कराने पर निर्भर है।
न्यायाधीश ने कहा कि सह-मालिकों का आचरण “अक्षम्य” और “लालच का कृत्य” है। आदेश में उपराज्यपाल से अनुरोध किया गया है कि वे उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश के अधीन एक समिति गठित करें, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि बिना अनुमति के कोई भी कोचिंग सेंटर न चल सके।
न्यायमूर्ति शर्मा ने कहा कि प्राधिकारियों को राजधानी में कोचिंग सेंटरों के लिए भी स्थान निर्धारित करना चाहिए।
आदेश की विस्तृत प्रति की प्रतीक्षा है।
तीन सिविल सेवा अभ्यर्थी – उत्तर प्रदेश की श्रेया यादव (25), तेलंगाना की तान्या सोनी (25) और केरल के नेविन डेल्विन (24) की 27 जुलाई को मध्य दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर में भारी बारिश के बाद राऊ के आईएएस स्टडी सर्किल की बिल्डिंग के बेसमेंट में पानी भर जाने से मौत हो गई थी।
बेसमेंट के सह-मालिकों – परविंदर सिंह, तजिंदर सिंह, हरविंदर सिंह और सरबजीत सिंह – ने इस आधार पर जमानत मांगी कि वे केवल बेसमेंट के मकान मालिक हैं, जिसे कोचिंग सेंटर को किराये पर दिया गया था और इसलिए, इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना में उनकी कोई भूमिका नहीं है।
सीबीआई ने जमानत याचिकाओं का विरोध किया और कहा कि जांच अभी प्रारंभिक चरण में है और स्वतंत्र गवाहों की जांच होने तक आरोपियों को राहत नहीं दी जानी चाहिए।
भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के तहत धारा 105 (गैर इरादतन हत्या) सहित इस मामले की जांच की जा रही थी, जिसे उच्च न्यायालय ने दिल्ली पुलिस से सीबीआई को स्थानांतरित कर दिया था।
(यह रिपोर्ट ऑटो-जेनरेटेड सिंडिकेट वायर फीड के हिस्से के रूप में प्रकाशित की गई है। हेडलाइन के अलावा, एबीपी लाइव द्वारा कॉपी में कोई संपादन नहीं किया गया है।)
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