नैनो उर्वरक और कीटनाशकों के इस्तेमाल के लिए किसानों को ड्रोन किराए पर दिए जा सकते हैं। प्रतिनिधित्व के लिए विशेष व्यवस्था की गई तस्वीर।
केंद्र सरकार 15,000 प्रगतिशील महिला स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) को ड्रोन मुहैया कराएगी, जिन्हें कृषि उद्देश्यों के लिए किसानों को किराए पर दिया जाएगा। ड्रोन सेवाओं का उपयोग किसानों द्वारा नैनो उर्वरक और कीटनाशकों के उपयोग के लिए किए जाने की परिकल्पना की गई है।
केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने 29 नवंबर को मीडिया को बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में यह निर्णय लिया गया।
याद दिला दें कि श्री मोदी ने अपने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में ड्रोन तकनीक से महिला स्वयं सहायता समूहों को सशक्त बनाने के लिए एक योजना की घोषणा की थी। इस योजना का वित्तीय परिव्यय 2024-25 से शुरू होने वाले दो वर्षों के लिए ₹1,261 करोड़ होगा।
श्री ठाकुर ने कहा कि दीनदयाल अंत्योदय योजना के तहत गठित कुल 89 लाख स्वयं सहायता समूहों में से स्वयं सहायता समूहों की पहचान की जाएगी। उन्होंने कहा कि ऐसे उपयुक्त क्लस्टरों की पहचान की जाएगी जहां ड्रोन का उपयोग आर्थिक रूप से व्यवहार्य है, जिसके बाद ड्रोन प्रदान करने के लिए स्वयं सहायता समूहों का चयन किया जाएगा।
महिला समूहों को ड्रोन की लागत का 80% केंद्रीय वित्तीय सहायता मिलेगी। एक ड्रोन और उसके सामान की कुल लागत लगभग ₹10 लाख है। मंत्री ने कहा कि लागत का लगभग 80% या ₹8 लाख तक केंद्र द्वारा प्रदान किया जाएगा।
उन्होंने कहा, “करीब 500 ड्रोन उर्वरक कंपनियों द्वारा उपलब्ध कराए जाएंगे। शेष 14,500 ड्रोन अगले दो वर्षों में केंद्रीय सहायता के माध्यम से उपलब्ध कराए जाएंगे।” ड्रोन पायलट को ₹15,000 और सह-पायलट को लगभग ₹10,000 का मानदेय मिलेगा।
स्वयं सहायता समूह के 18 वर्ष या उससे अधिक आयु के एक सुयोग्य सदस्य को 15 दिवसीय प्रशिक्षण के लिए चुना जाएगा, जिसमें पांच दिवसीय अनिवार्य ड्रोन पायलट प्रशिक्षण और कृषि प्रयोजन के लिए पोषक तत्व और कीटनाशक अनुप्रयोग के लिए अतिरिक्त 10 दिवसीय प्रशिक्षण शामिल होगा, जबकि समूह के एक अन्य सदस्य को तकनीशियन या सहायक के रूप में प्रशिक्षण के लिए चुना जाएगा।
इस योजना से किसानों के लाभ के लिए कृषि में उन्नत प्रौद्योगिकी को शामिल करने, बेहतर दक्षता, फसल की पैदावार बढ़ाने और परिचालन लागत को कम करने में मदद मिलेगी।
योजना के अंतर्गत स्वीकृत पहलों से 15,000 स्वयं सहायता समूहों को स्थायी व्यवसाय और आजीविका सहायता मिलने तथा उन्हें प्रति वर्ष कम से कम ₹1 लाख की अतिरिक्त आय अर्जित करने में सहायता मिलने की उम्मीद है।