वायनाड भूस्खलन त्रासदी: वायनाड में भूस्खलन को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग हाल ही में जोर पकड़ रही है। इस मांग की अगुआई विपक्ष के नेता राहुल गांधी कर रहे हैं, जो इस क्षेत्र के पूर्व सांसद हैं। 30 जुलाई को इस क्षेत्र में हुए भूस्खलन में 300 से अधिक लोगों की मौत हो गई और कई लापता हैं। इस दक्षिणी राज्य को प्रभावित करने वाली सबसे बड़ी प्राकृतिक आपदाओं में से एक माना जा रहा है।
संसद में शून्यकाल के दौरान बोलते हुए राहुल गांधी ने प्रभावित लोगों के लिए अधिक मुआवजे की भी मांग की। वायनाड भूस्खलन को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए उन्होंने कहा, “मैंने इसे अपनी आंखों से देखा है। मैंने कई अलग-अलग जगहों का दौरा किया जहां आपदा हुई थी।
हालांकि, सरकार के अनुसार, प्राकृतिक आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने का कोई प्रावधान नहीं है। तत्कालीन गृह राज्य मंत्री मुल्लापल्ली रामचंद्रन द्वारा 2013 में लोकसभा में दिए गए जवाब के अनुसार, “प्राकृतिक आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने का कोई प्रावधान नहीं है।”
उत्तर में आगे कहा गया है कि ‘भारत सरकार आपदा की तीव्रता और परिमाण, राहत सहायता का स्तर, समस्या से निपटने के लिए राज्य सरकार की क्षमता, सहायता और राहत प्रदान करने के लिए योजना के भीतर उपलब्ध विकल्प और लचीलापन आदि को ध्यान में रखते हुए मामले-दर-मामला आधार पर गंभीर प्रकृति की आपदा का फैसला करती है। प्राकृतिक आपदा के संदर्भ में तत्काल राहत और प्रतिक्रिया सहायता प्राथमिकता है। ऐसे में कोई निश्चित निर्धारित मानदंड नहीं है। हालांकि, ‘गंभीर प्रकृति’ की आपदा के लिए, स्थापित प्रक्रिया का पालन करने के बाद, राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष (एनडीआरएफ) से अतिरिक्त सहायता पर भी विचार किया जाता है।’
उन्होंने यह भी कहा कि प्राकृतिक आपदाओं के मद्देनजर आवश्यक बचाव एवं राहत उपाय करने की प्राथमिक जिम्मेदारी संबंधित राज्य सरकारों की है।