100 करोड़ रुपये सालाना तक के टर्नओवर वाले एफपीओ को टैक्स छूट के बावजूद 18 प्रतिशत न्यूनतम वैकल्पिक कर (एमएटी) देना पड़ता है। इसे खत्म किया जाना चाहिए क्योंकि इससे छोटे किसानों के इन संगठनों को बहुत परेशानी होती है।
बजट 2019-20 में घोषणा की गई है कि अगले पांच सालों में 10,000 नए किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) बनाए जाएंगे। एक साल पहले बजट 2018-19 में एफपीओ के लिए पांच साल के लिए कर छूट का प्रावधान किया गया था, जो अवधि अब खत्म होने वाली है। कर छूट की अवधि को बढ़ाया जाना चाहिए ताकि बाद में बनाए गए एफपीओ भी कर छूट का लाभ उठाते रहें। यह कहना है मध्य भारत कंसोर्टियम ऑफ फार्मर्स प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड के सीईओ योगेश द्विवेदी का।
एमएटी को समाप्त किया जाए
द्विवेदी ने कहा कि 100 करोड़ रुपये तक के सालाना टर्नओवर वाले एफपीओ को टैक्स में छूट के बावजूद उन्हें 18 प्रतिशत न्यूनतम वैकल्पिक कर (एमएटी) देना पड़ता है। इसे खत्म किया जाना चाहिए क्योंकि इससे छोटे किसानों के इन संगठनों को काफी परेशानी होती है। द्विवेदी ने कहा कि अगर सरकार इसे पूरी तरह खत्म नहीं करना चाहती तो वह टर्नओवर की सीमा तय कर सकती है, जिसके नीचे एफपीओ को एमएटी से छूट दी जा सकती है।
पंजीकरण से पहले जांच
द्विवेदी के अनुसार एफपीओ का पंजीकरण करने से पहले उसकी जांच होनी चाहिए। एफपीओ बनाने का उद्देश्य छोटे किसानों की मदद करना था। अवधारणा यह थी कि अपनी जरूरत से ज्यादा उत्पादन करने वाले छोटे किसानों को बाजार में अपनी उपज बेचने का सुविधाजनक तरीका मिले। लेकिन हो यह रहा है कि एक ही कारोबारी परिवार के सदस्य मिलकर एफपीओ बना रहे हैं। अभी नियम के अनुसार हर ब्लॉक में एक एफपीओ बनाया जा सकता है। कुछ जगहों पर कॉरपोरेट को भी एफपीओ बनाने की जिम्मेदारी दी गई है। इस पर रोक लगनी चाहिए।
बैंकों ने दो साल की बैलेंस शीट मांगी
द्विवेदी कहते हैं कि सरकार ने प्रावधान किया है कि वह एफपीओ को दिए जाने वाले लोन की गारंटी देगी, लेकिन बैंक इससे संतुष्ट नहीं हैं। वे एफपीओ से कम से कम दो साल की बैलेंस शीट की मांग करते हैं। ऐसी मांग नए एफपीओ को लोन देने की संभावना को ही खत्म कर देती है। द्विवेदी कहते हैं कि एफपीओ को कर्ज के मामले में प्राथमिकता वाले क्षेत्र में रखा जाना चाहिए।
मंडी कर में एफपीओ को छूट
द्विवेदी ने एफपीओ को मंडी टैक्स में छूट देने की मांग की। उन्होंने कहा कि सरकार एफपीओ को टैक्स से पूरी तरह छूट नहीं दे सकती, लेकिन कुछ छूट देना उचित होगा। तभी छोटे किसानों के संगठन बड़े व्यापारियों से प्रतिस्पर्धा में टिक पाएंगे। द्विवेदी ने कहा कि कृषि में प्राकृतिक जोखिम अधिक है। इसलिए उद्योग के मुकाबले इसे अधिक सुविधा देने की जरूरत है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो कोई भी कृषि में निवेश करने में दिलचस्पी नहीं लेगा।