सत्या एंड कंपनी जैसी प्रतिष्ठित फिल्में देने वाले राम गोपाल वर्मा को सात साल पुराने चेक बाउंस मामले में अंधेरी मजिस्ट्रेट कोर्ट ने तीन महीने जेल की सजा सुनाई है। अदालत ने उन्हें परक्राम्य लिखत अधिनियम की धारा 138 के तहत मुआवजे के रूप में ₹3.72 लाख का भुगतान करने का भी आदेश दिया है।
राम गोपाल वर्मा के खिलाफ मामला
2018 में श्री नामक कंपनी के मालिक महेशचंद्र मिश्रा ने राम गोपाल वर्मा के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। वर्मा 21 जनवरी को सुनवाई के लिए अदालत में उपस्थित नहीं हुए, एक अपराध जिसके लिए अदालत ने उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया था। यह शिकायत एक बाउंस चेक को लेकर थी जो वर्मा की फिल्म निर्माता कंपनी से संबंधित था।
कोर्ट का फैसला और मुआवज़ा
अदालत ने वर्मा को तीन महीने के भीतर 3.72 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है। अगर वह ऐसा नहीं करते हैं तो उन्हें जेल की सजा और बढ़ सकती है. यह फैसला उनकी नई फिल्म सिंडिकेट की घोषणा से ठीक एक दिन पहले सुनाया गया। सात साल की लगातार कानूनी लड़ाई के बाद अब यह फैसला अपने अंजाम तक पहुंचा है।
फिल्म निर्माता के आर्थिक संकट
रिपोर्ट्स से संकेत मिलता है कि राम गोपाल वर्मा पिछले कुछ समय से आर्थिक रूप से बहुत अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रहे हैं। जिस प्रोडक्शन हाउस ने कभी हमें रंगीला, सत्या और सरकार जैसी हिट फ़िल्में दीं, वह अपना पुराना जादू दोबारा दिखाने में असमर्थ रहा है। यदि वह अदालत के आदेशों का पालन करने में विफल रहता है, तो उसे पूरी अवधि के लिए जेल में रखा जाएगा।